कुंभ नगरी में स्नान के लिए पहुंचे 48,500 लोग अपने परिजनों से बिछुड़े। खास बात यह कि परिजनों से बिछुड़ने वालों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या अधिक रही यह सभी कुछ दिनों के इंतजार के बाद अपने परिजनों तक पहुंच गए।
कुंभ नगरी में स्नान के लिए पहुंचे 48,500 लोग अपने परिजनों से बिछुड़े। खास बात यह कि परिजनों से बिछुड़ने वालों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या अधिक रही यह सभी कुछ दिनों के इंतजार के बाद अपने परिजनों तक पहुंच गए। मेले में सिर्फ छह साल का एक बच्चा ही ऐसा रहा, जो अब तक परिजनों तक नहीं पहुंच सका।
कुंभ नगरी में परिजनों से बिछुड़ने वालों की मदद के लिए तीन केंद्र काम कर रहे थे। इनमें एक सरकार की ओर से बना डिजिटल भूला-बिसरा केंद्र रहा जबकि दो स्वयंसेवी संगठनों ने संचालित किया। इनमें सबसे पुराना भारत सेवा केंद्र (1946) एवं हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति (1954) शामिल रहीं। भूले भटकों के लिए सबसे अधिक मददगार भारत सेवा केंद्र एवं हेमवती नंदन बहुगुणा समिति रहा।
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