Wednesday, July 2, 2025
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Mahakumbh : अयोध्या की तर्ज पर सज रहा हनुमान मंदिर व अक्षयवट काॅरिडोर, बंगलुरू और अयोध्या से मंगाए गए फूल

प्रयागराज में संगम तट पर प्राचीन किले में स्थित अक्षयवट काॅरिडोर का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। सिविल वर्क के बाद अब साज-सज्जा का कार्य भी शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से ही छह साल पहले अक्षयवट के द्वार आमजन के लिए खुले थे, जबकि इससे पहले यह सेना के कब्जे में था।

प्रधानमंत्री के आगमन से पहले अयोध्या की तर्ज पर बड़े हनुमान मंदिर और अक्षयवट कॉरिडोर का शृंगार किया जा रहा है। फ्लावर डेकोरेशन के लिए बंगलुरू और कोलकाता से 21 तरह के फूल मंगाए गए हैं। साज सज्जा के लिए उसी एजेंसी को जिम्मेदारी साैंपी गई है, जिसने रामंदिर निर्माण के बाद अयोध्या का शृंगार किया था। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री के प्रयास से ही 2019 में अक्षयवट धाम का द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था।

प्रयागराज में संगम तट पर प्राचीन किले में स्थित अक्षयवट काॅरिडोर का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। सिविल वर्क के बाद अब साज-सज्जा का कार्य भी शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से ही छह साल पहले अक्षयवट के द्वार आमजन के लिए खुले थे, जबकि इससे पहले यह सेना के कब्जे में था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद न सिर्फ यह आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया बल्कि राज्य सरकार की ओर से काॅरिडोर बनाने का भी निर्णय लिया गया।

महाकुंभ से पहले करीब 18 करोड़ की लागत से अब इसका कार्य पूर्ण हो चुका है और 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं। करीब 10 एकड़ में फैले अक्षयवट काॅरिडोर के फ्लावर डेकोरेशन की जिम्मेदारी मोक्ष एजेंसी को सौंपी गई है। इसके इवेंट मैनेजर सोहन नेगी ने बताया कि अयोध्या की तर्ज पर ही हनुमान मंदिर और अक्षयवट कॉरिडोर की सजावट की जाएगी, जो बुधवार शाम को शुरू होगी और वीरवार तक चलेगी। 

Mahakumbh: Hanuman temple and Akshayavat corridor being decorated on the lines of Ayodhya
हनुमान मंदिर कॉरिडोर के फर्स्ट फेस का कार्य भी अधूरा

संगम के तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर कॉरिडाेर निर्माण के प्रथम फेस का कार्य भी अधूरा रह गया है, जो अब प्रधानमंत्री की विजिट के बाद ही संभव हो सकेगा। वहीं दूसरे फेस का कार्य महाकुंभ के बाद शुरू करने की योजना है।

प्रयागराज विकास प्राधिकरण की ओर से हनुमान मंदिर कॉरिडोर का निर्माण कार्य किया जा रहा है। पहले इसे महाकुंभ तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन बाद में इसे दो फेस में बांट दिया गया। प्रथम फेस में बाउंड्रीवॉल, पुजारी ब्लाक, गेट और सीढि़यों का निर्माण किया जाना था, लेकिन अभी पुजारी ब्लॉक और सीढि़यों का काम भी अधूरा है। ऐसे में अब इसे प्रधानमंत्री के दौरे के बाद करने का निर्णय लिया गया है। वहीं द्वितीय फेस का कार्य महाकुंभ के बाद शुरू होगा।

अक्षयवट को नया लुक देने का प्रयास, सप्तऋषि व बाल गोपाल खीचेंगे ध्यान
अक्षयवट कॉरिडोर निर्माण के बाद सरकार की ओर से इसे नया रूप देने का प्रयास किया गया है। इसके तहत यहां स्थापित किए गए सप्तऋषि और अक्षय वट के पत्ते पर बाल गोपाल बरबस की ध्यान आकर्षित करते हैं। वहीं सरस्वती कूप के समीप लगाई गई वीणावादिनी की प्रतिमा भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगी। 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अक्षयवट धाम की धार्मिक और पौराणिक महत्ता के साथ ही नए कार्यों से रूबरू कराया जाएगा।

अक्षयवट का अर्थ है कि जिसका क्षय न हो, यानी आदि और अनंत काल तक उसकी महत्ता कायम रहे। प्रयागराज के प्राचीन किले में स्थित अक्षयवट के संबंध में मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने इस वृक्ष को अपने हाथों से लगाया था। वहीं ब्रह्माजी ने यहां पहला यज्ञ किया था और प्रलय आने के बाद अक्षय वट के पत्ते पर ही बाल रूप में भगवान विष्णु प्रकट हुए थे।

यही नहीं श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण ने वनवास जाने से पहले तीन दिन यहां विश्राम किया था। वापस आते समय उन्होंने अक्षय वट को वरदान दिया था कि इसका कभी विनाश नहीं होगा। कालांतर में यहां जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने तप किया था और मोक्ष प्राप्त किया था। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री को भी अक्षयवट की उक्त धार्मिक और पौराणिक महत्ता तथा खूबियों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही नवनिर्मित कार्यों से भी उन्हें अवगत कराया जाएगा।

Courtsy amarujala.com
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