Wednesday, July 2, 2025
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Mahakumbh : हाथों में तलवार-भाला लेकर निकली सनातन की सेना, महानिर्वाणी अखाड़े का शाही अंदाज में छावनी प्रवेश

काली मार्ग पर मेला कार्यालय के पास से वाहनों का आवागमन रोक दिया गया था। इसके कारण त्रिवेणी मार्ग पर घंटों जाम लगा रहा। श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की पेशवाई बाघंबरी गद्दी के सामने नवनिर्मित महानिर्वाणी अखाड़े के भवन से शुरू हुई।

महाकुंभ क्षेत्र में अखाड़ों के प्रवेश का अनूठा अंदाज देखते बन रहा है। बृहस्पतिवार को पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के महामंडलेश्वरों, आचार्यों, मंडलेश्वरों और श्रीमहंतों ने सुसज्जित रथों पर सवार होकर छावनी प्रवेश किया। रास्ते भर पुष्प वर्षा के बीच संतों के रथ गुजरते रहे और जयघोष होता रहा।

अलोपीबाग से निकली छावनी प्रवेश शोभायात्रा में संतों-भक्तों का तांता लग गया। अलोपीबाग स्थित महा निर्वाणी अखाड़े की छावनी से भव्य जुलूस दिन के 11 बजे उठा। सबसे पहले महा मंडलेश्वर की पदवी इसी अखाड़े की ओर से प्रदान की गई थी। मौजूदा समय इस अखाड़े में 67 महा मंडलेश्वर हैं। छावनी प्रवेश शोभायात्रा में सभा महामंडलेश्वर रथों पर आरूढ़ होकर निकले तो वह दृश्य देखते बना।

 

 

Saints of Panchayati Akhara entered the cantonment in royal style, Naga monks were the center of attraction.
अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद की अगुवाई में छावनी प्रवेश शोभायात्रा दारागंज से बख्शीबांध, नागवासुकि, दशाश्वमेध घाट, रामघाट होतेहुएसंगम पहुंची। अखाड़े के इष्टदेव भगवान कपिल मुनि का रथ सबसे आगे चल रहा था।
Saints of Panchayati Akhara entered the cantonment in royal style, Naga monks were the center of attraction.
इसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद का भव्य रथ श्रद्धालुओं का ध्यान खींच रहा था। पुष्प वर्षा के बीच शोभायात्रा मेला कार्यालाय के सामने पहुंची तो मेलाधिकारी विजय किरन आनंद, एसएसपी मेला समेत कई अफसरों ने माला पहना कर स्वागत किया। संगम पर सविधि गंगा पूजन के बाद संतों ने काली मार्ग स्थित छावनी में प्रवेश किया। इस शोभायात्रा में अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज, श्रीमहंत यमुना पुरी समेत कई संत शामिल थे।
Saints of Panchayati Akhara entered the cantonment in royal style, Naga monks were the center of attraction.
पांच किमी लंबे छावनी प्रवेश में दिखी नारी शक्ति की झलक, पर्यावरण पर आधारित झांकियां भी

प्रयागराज। नारी शक्ति को महानिर्वाणी अखाड़ा ने हमेशा सम्मान दिया है। अखाड़ों में मातृ शक्ति को स्थान भी सबसे पहले महा निर्वाणी अखाड़े ने दिया था। अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी बताते है कि साध्वी गीता भारती को अखाड़ों में पहली महामंडलेश्वर होने का गौरव प्राप्त हुआ था। स्वामी गीता भारती 1962 में महानिर्वाण अखाड़े की महामंडलेश्वर बनी थीं। महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंदकी शिष्या संतोष पुरी तीन साल की उम्र में अखाड़े में शामिल हुई और उन्हें यह उपाधि हासिल हुई।

Saints of Panchayati Akhara entered the cantonment in royal style, Naga monks were the center of attraction.
10 साल की उम्र में वह गीता का प्रवचन करती थीं, जिसके कारण राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें गीता भारती का नाम दिया और संतोष पुरी अब संतोष पुरी से गीता भारती बन गई। छावनी प्रवेश यात्रा में भी इसकी झलक देखने को मिली जिसमें चार महिला मंडलेश्वर भी शामिल हुई। यात्रा में वीरांगना वाहिनी सोजत की झांकी में भी इसकी झलक देखने को मिली। छावनी यात्रा में पर्यावरण संरक्षण के कई प्रतीक भी साथ चल रहे थे। पांच किमी लंबा सफर तय कर शाम को अखाड़े ने छावनी में प्रवेश किया।
Courtsyamarujala.com
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