Wednesday, July 2, 2025
spot_img
HomeKumbhMahakumbh : हिंदुओं ने देखा 440 साल पुराना आदि विश्वेश्वर का वैभव,...

Mahakumbh : हिंदुओं ने देखा 440 साल पुराना आदि विश्वेश्वर का वैभव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दस्तावेज भी सार्वजनिक

महाकुंभ में साढ़े चार करोड़ श्रद्धालुओं ने आदि विश्वेश्वर ज्ञानवापी के 440 साल पुराने मंदिर के मॉडल का दर्शन किया। साथ ही ज्ञानवापी की मुक्ति का संकल्प लिया।

महाकुंभ में साढ़े चार करोड़ श्रद्धालुओं ने आदि विश्वेश्वर ज्ञानवापी के 440 साल पुराने मंदिर के मॉडल का दर्शन किया। साथ ही ज्ञानवापी की मुक्ति का संकल्प लिया। वहीं त्रिवेणी के तट पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दस्तावेज और ध्वंस की तस्वीरें भी श्रद्धालुओं के लिए सार्वजनिक की गईं। प्रदर्शनी में प्रदर्शित मंदिर के दस्तावेज और तस्वीरों को साढ़े छह करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने देखा है।

श्री आदि महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास की ओर से 1669 में ध्वंस किए गए श्री आदि विश्वेश्वर मंदिर ज्ञानवापी का मॉडल देश और दुनिया भर के सनातनी हिंदुओं के दर्शन के लिए सेक्टर-19 में रखा गया था। 17 जनवरी से 18 फरवरी तक साढ़े चार करोड़ श्रद्धालुओं ने मंदिर के इस मॉडल को देखा और नमन किया। ज्ञानवापी के मॉडल के साथ ही वर्तमान समय की तस्वीरों को भी लगाया गया था। इसके साथ ही एएसआई के सर्वे के दौरान मिले प्रतीक चिह्नों को प्रदर्शनी के जरिए दर्शाया गया।

न्यास के डॉ. रामप्रसाद सिंह ने बताया कि मंदिर के मॉडल और प्रदर्शनी के जरिए 1669 में आदि विश्वेश्वर ज्ञानवापी मंदिर की असली स्थिति से श्रद्धालुओं को रूबरू कराया गया। ज्ञानवापी के सर्वे के बाद की तस्वीरों के साथ ही 1669 में ध्वंस के पहले ज्ञानवापी के असली स्वरूप को महाकुंभ में हर किसी ने देखा। ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग, दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र, सनातन मंदिरों की नक्काशी को भी दिखाया गया। इसके साथ ही सन 1585 में निर्मित मंदिर के नक्शे को भी आम श्रद्धालुओं के लिए रखा गया था। 

125 फीट लंबा, 125 चौड़ा और 128 फीट ऊंचा था मंदिर

मंदिर के मॉडल को लकड़ी से तैयार करने में एक साल का समय लगा। आठ मंडप और एक शिखर वाले इस मॉडल को पुराने मंदिर के आधार पर ही तैयार किया गया है। आदि विश्वेश्वर मंदिर 125 फीट लंबा, 125 फीट चौड़ा और 128 फीट ऊंचे था। मंदिर में बनाए गए शृंगार मंडप, ऐश्वर्य मंडप, ज्ञान मंडप, मुक्ति मंडप पूरी तरह खाली थे। इसके अलावा गणेश मंडप, दंडपाणि मंडप, तारकेश्वर मंडप और भैरव मंडप में देवताओं के विग्रह विराजमान थे।

मंदिर के मूल मंडप के नीचे गर्भगृह था, जिसमें भगवान शिव के प्रतिरूप का भव्य शिवलिंग विराजमान था। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम में, उत्तर में नंदी, पूर्व में प्रवचन कक्ष तथा दक्षिण में गर्भगृह स्थित शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल निकासी को वर्तमान में ज्ञानवापी कूप कहा जाता है। मंदिर के नीचे एक बेसमेंट है, जिसे तहखाना कहा जा रहा है, जिसकी गहराई सात फिट है। इसको बनाने के लिए अलग-अलग ग्रंथों, पुस्तकों का अध्ययन किया गया।

 

पहली बार महाकुंभ में जन्मभूमि से जुड़े दस्तावेज और तस्वीरों को किया सार्वजनिक

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास की ओर से त्रिवेणी के तट पर जन्मभूमि के प्राचीन दस्तावेज और चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। सेक्टर-16 में लगी प्रदर्शनी ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह पहला मौका था जब महाकुंभ में जन्मभूमि से जुड़े दस्तावेज और तस्वीरों को सार्वजनिक किया गया था। इसके अलावा औरंगजेबनामा, मासीर ए आलमगिरी, औरंगजेब का इतिहास, जनवरी 1670 में मथुरा के कृष्ण मंदिरों को तोड़कर मूर्तियों को मस्जिद की सीढि़यों में लगाने का फरमान भी प्रदर्शनी का हिस्सा बना था। न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि महीने भर तक लगी प्रदर्शनी को साढ़े छह करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने देखा है। प्रदर्शनी में जन्मभूमि के मामले से जुड़े कई दस्तावेजों को महाकुंभ में पहली बार सार्वजनिक किया गया था। इसके जरिए आम जनता को जन्मभूमि के लिए जागरूक करना ही उद्देश्य था।

 

 

Courtsy amarujala.com

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments