सीएम के साथ संवाद से पहले शाही स्नान की परंपरा में बदलाव का निर्णय लिया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने शाही स्नान की अगुवाई जूना अखाड़े को सौंपने का एलान किया।
गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर 13 जनवरी 2025 से आरंभ होने जा रहे महाकुंभ में शाही स्नान की परंपरा का ध्वजवाहक इस बार जूना अखाड़ा होगा। रविवार को परेड मैदान में सीएम योगी आदित्यनाथ की बैठक से पहले अखाड़ों में सर्व सम्मति से यह तय किया। 12 वर्ष बाद लगने वाले महाकुंभ में इस बार निरंजनी को सबसे आगे चलने का मौका दिया जाना था, लेकिन विश्व के सबसे बड़े संन्यासी पंरपरा वाले पंच दशनाम जूना अखाड़े को सबसे आगे स्नान करने की अनुमति प्रदान की गई।
सीएम के साथ संवाद से पहले शाही स्नान की परंपरा में बदलाव का निर्णय लिया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने शाही स्नान की अगुवाई जूना अखाड़े को सौंपने का एलान किया। परंपरा के अनुसार इस बार पड़ने वाले तीन शाही स्नानों में सबसे पहले देवता-निशान, अस्त्र-शस्त्र, सुसज्जित रथों, बग्घियों और अन्य तामझाम के साथ जूना अखाड़ा चलेगा।
जूना अखाड़े के पीछे निरंजनी अखाड़ा और उसके बाद आनंद अखाड़े के संन्यासी संगम पर शाही स्नान के लिए पहुंचेंगे। इससे पहले सबसे आगे महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासी शाही स्नान के लिए निकलते थे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि इस बार बहुमत के आधार पर विश्व के सबसे बड़े संन्यासी अखाड़े के रूप में जूना अखाड़े को महाकुंभ में शाही स्नान के ध्वज वाहक के रूप में चुना गया है।
इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े के संत शाही स्नान के लिए निकलेंगे। उनके साथ अटल अखाड़े के संत चलेंगे। इसी तरह सबसे अंत में उदासीन परंपरा के संतों को शाही स्नान के लिए चलने का क्रम निर्दारित किया गया है। इनमें सबसे आगे कौन सी उदासीन अनी परंपरा के संत चलेंगे, इसका निर्धारण उन पर ही छोेड़ दिया गया है।