रूस और युक्रेन के सैनिक जहां लंबे समय से युद्ध कर रहे हैं और एक दूसरे देश को विनाश करने के लिए हमले और धमाके कर रहे हैं वहीं महाकुंभ में संगम की रेती पर दोनों देशों के संत आमने सामने बैठकर हवन, यज्ञ और अनुष्ठान करके शांति की कामना करेंगे। जूना अखाड़े के शिविर में दोनों देशों के संतों के लिए शानदार कॉटेज और कॉरिडोर का निर्माण कराया जा रहा है।
तीन साल से जारी विनाशकारी युद्ध को खत्म कराने की कोशिशें भले ही अब तक नाकाम रही हों, लेकिन संगम की रेती पर महाकुंभ में रूस-यूक्रेन के विदेशी संत एक ही शिविर में आमने-सामने शांति के लिए जप-तप-ध्यान करेंगे। इसके लिए लकड़ी और कांच से युक्त रूस-यूक्रेन आध्यात्मिक गलियारा तैयार किया जा रहा है। इसमें दोनों दुश्मन देशों के संन्यासी एक ही हवन कुंड पर विश्व शांति के लिए आहुति देंगे। इस शिवशक्ति महायज्ञ में एक हजार से अधिक विदेशी संत शामिल होंगे।
एक-दूसरे की विपरीत विचारधाराओं, भिन्न-भिन्न संस्कृतियों, मत-मतांतरों के मिलन तट के रूप में वेद-पुराणों में विख्यात गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का त्रिवेणी तट इस बार दुनिया के दो जानी दुश्मन देशों के मिलन का साक्षी बनने जा रहा है। एक-दूसरे को मटियामेट करने पर तुले दोनों विरोधी देशों के संत एक ही शिविर में एक ही छत के नीचे ध्यान-पूजा करेंगे। विरोधी देशों के संतों के अद्भुत मिलन का यह दृश्य दुनिया इस बार संगम तट पर देख सकेगी।
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