विश्व के सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगम प्रयागराज महाकुंभ 45 दिनों तक आस्था, श्रद्धा और संस्कृति का केंद्र बना रहा। करोड़ों श्रद्धालुओं ने यहां पुण्य स्नान किया, संतों-महात्माओं के प्रवचन सुने और दिव्य वातावरण का आनंद लिया।
विश्व के सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगम प्रयागराज महाकुंभ 45 दिनों तक आस्था, श्रद्धा और संस्कृति का केंद्र बना रहा। करोड़ों श्रद्धालुओं ने यहां पुण्य स्नान किया, संतों-महात्माओं के प्रवचन सुने और दिव्य वातावरण का आनंद लिया। अब जब महाकुंभ का समापन हो गया है तो यह एक याद बनकर दिलों में बस गया है।
संगम तट सूना, लेकिन स्मृतियां जीवंत
महाकुंभ के दौरान जो घाट भक्तों से भरे रहते थे, वे अब सूने हो चुके हैं। श्रद्धालु अपने-अपने गंतव्य की ओर लौट चुके हैं, लेकिन संगम की लहरों में अभी भी आरती की गूंज महसूस होती है। महाकुंभ में बिताए पल, संतों की वाणी और आध्यात्मिक अनुभूतियां श्रद्धालुओं के हृदय में सजीव बनी रहेंगी।