महाकुंभ की तैयारी को लेकर संगम की रेती पर अखाड़ों के साधु-संतों का आगमन शुरू हो गया है। मेले में कल्पवास करने श्री पंचदशनाम आवाहान अखाड़ा के महंत नागा बाबा इंदर गिरि (53) हरियाणा से ऑक्सीजन लगाकर आए हैं।
महाकुंभ की तैयारी को लेकर संगम की रेती पर अखाड़ों के साधु-संतों का आगमन शुरू हो गया है। मेले में कल्पवास करने श्री पंचदशनाम आवाहान अखाड़ा के महंत नागा बाबा इंदर गिरि (53) हरियाणा से ऑक्सीजन लगाकर आए हैं। फेफड़े में दिक्कत होने की वजह से डॉक्टर उन्हें जवाब दे चुके हैं।
महंत ने महाकुंभ के बाद गुरु के चरणों में प्राण निकलने की अंतिम इच्छा जाहिर की है। हिसार निवासी नागा बाबा इंदर गिरि बताते हैं कि वर्ष 2021 में अग्नि तपस्या करते समय उनके ऊपर पानी गिर गया था, तबसे फेफड़े में दिक्कत हो गई। छह बार फेफड़े का ऑपरेशन करा चुके हैं, लेकिन फायदा नहीं हुआ। अब तो डॉक्टर भी जवाब दे चुके हैं और हमेशा ऑक्सीजन लगाए रखने की सलाह दी है। वह चार सालों से नाक में ऑक्सीजन पाई लगाकर अपने साथ सिलिंडर लेकर चलते हैं।
भोजन में दाल-रोटी और दलिया
बाबा इंदर गिरि बताते हैं कि बीमारी के बाद से उनका खानपान बहुत संयमित हो गया है। वह रोटी-दाल और बिना मसाले की हरी सब्जी का सेवन करते हैं और नाश्ते में दलिया खाते हैं।
वर्ष 1986 में पहली बार हरिद्वार में हुए थे शामिल
बाबा ने बताया कि वर्ष 1986 में पहली बार हरिद्वार के कुंभ में शामिल हुए थे. उसके बाद से ही वह हर कुंभ में कल्पवास करने आते हैं। बीमारी के बाद से चार सालों से वह चल नहीं पाते हैं। ऐसे में शिष्य ही हर तरह से सेवा करते हैं और जहां जाना होता है, उन्हें उठाकर ले जाते हैं।
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