Saturday, July 5, 2025
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Mahakumbh : सैनिक से बने संत, अमेरिका के फौजी माइकल बन गए बाबा मोक्षपुरी, सनातन शक्ति के सामने नतमस्तक

माइकल अब बाबा मोक्षपुरी बन गए हैं। बेटे की मौत ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी। उन्होंने बंदूक थामने वाले हाथों में कमंडल धारण कर लिया। आज वे जूना अखाड़े से जुड़े हैं और अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर चुके हैं।

 

महाकुंभ ने भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के संतों और आध्यात्मिक गुरुओं के साथ ही अन्य लोगों को भी आकर्षित किया है। इनमें से एक नाम है अमेरिका के न्यू मैक्सिको में जन्मे और कभी अमेरिकी सैनिक रहे माइकल का।

 

माइकल अब बाबा मोक्षपुरी बन गए हैं। बेटे की मौत ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी। उन्होंने बंदूक थामने वाले हाथों में कमंडल धारण कर लिया। आज वे जूना अखाड़े से जुड़े हैं और अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर चुके हैं।

 

त्रिवेणी के संगम पर कल्पवास कर रहे बाबा मोक्षपुरी ने कहा, मैं भी कभी साधारण व्यक्ति था। परिवार और पत्नी के साथ समय बिताना और घूमना मुझे पसंद था। सेना में भी शामिल हुआ, लेकिन एक समय ऐसा आया जब मैंने महसूस किया कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। तभी मैंने मोक्ष की तलाश में इस अनंत यात्रा की शुरुआत की।

अमेरिका में जन्मे बाबा मोक्षपुरी साल 2000 में पहली बार अपने परिवार (पत्नी और बेटे) के साथ भारत आए थे। वह बताते हैं कि यह यात्रा उनके जीवन की सबसे यादगार घटना थी। इसी दौरान उन्होंने ध्यान और योग को जाना और पहली बार सनातन धर्म के बारे में समझा। 

भारतीय संस्कृति और परंपराओं ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। यह उनकी आध्यात्मिक जागृति का प्रारंभ था, जिसे वह अब ईश्वर का आह्वान मानते हैं। बाबा मोक्षपुरी के जीवन में बड़ा बदलाव तब आया जब उनके बेटे का असमय निधन हो गया। उन्होंने कहा कि इस दुखद घटना ने उन्हें यह समझने में मदद की कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। इसी दौरान उन्होंने ध्यान और योग को अपनी शरणस्थली बनाया, जिसने उन्हें कठिन समय से बाहर निकाला। वे अब दुनिया भर में घूमकर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की शिक्षाओं का प्रचार कर रहे हैं। 2016 में उज्जैन कुंभ के बाद से उन्होंने हर महाकुंभ में भाग लेने का संकल्प लिया है।

नीम करोली बाबा से मिली प्रेरणा

 

बाबा मोक्षपुरी ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा में नीम करोली बाबा के प्रभाव का खास महत्व बताया। वे कहते हैं कि नीम करोली बाबा के आश्रम में ध्यान और भक्ति की ऊर्जा ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। उन्हें वहां ऐसा लगा मानो बाबा स्वयं भगवान हनुमान का रूप हैं। इस अनुभव ने जीवन में भक्ति, ध्यान और योग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।

 

न्यू मैक्सिको में आश्रम खोलने की योजना

 

भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़े बाबा मोक्षपुरी ने अपनी पश्चिमी जीवनशैली को त्यागकर ध्यान और आत्मज्ञान के मार्ग को चुना। अब वे न्यू मैक्सिको में एक आश्रम खोलने की योजना बना रहे हैं, जहां से वे भारतीय दर्शन और योग का प्रचार करेंगे।

 

 

 

 

Courtsy amarujala.com

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