Monday, July 7, 2025
spot_img
HomePrayagrajमौनी अमावस्या हादसा : हाईकोर्ट ने पूछा- अब तक कितने लोगों को...

मौनी अमावस्या हादसा : हाईकोर्ट ने पूछा- अब तक कितने लोगों को मिला अनुग्रह मुआवजा

हाईकोर्ट ने सभी प्रतिवादियों से उनके जिम्मेदार अधिकारियों के माध्यम 28 जनवरी 2025 से महाकुंभ खत्म होने तक उनके यहां लाए गए मरीजों, शवों का ब्योरा के साथ ही सुपुर्द किए गए शवों का ब्योरा मांगा है।

अमृत स्नान के दौरान हुई महिला की मौत में बिहार निवासी उसके पति ने मुआवजे की मांग करते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) प्रयागराज, मोतीलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, टीवी सप्रू अस्पताल बेली, मोतीलाल नेहरू (कॉल्विन) मंडलीय अस्पताल, जिला महिला अस्पताल, इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन और इलाहाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस संदर्भ में सभी प्रतिवादियों को नोटिस भेजने को कहा है।

हाईकोर्ट ने सभी प्रतिवादियों से उनके जिम्मेदार अधिकारियों के माध्यम 28 जनवरी 2025 से महाकुंभ खत्म होने तक उनके यहां लाए गए मरीजों, शवों का ब्योरा के साथ ही सुपुर्द किए गए शवों का ब्योरा मांगा है। इसके साथ ही जब भी किसी व्यक्ति को मृत घोषित किया गया या मृत लाया गया तो उसका समय, तारीख, पहचान के साथ ही इलाज करने वाले डॉक्टरों की जानकारी देने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने जिला प्रशासन से यह पूछा है कि अब तक कुल कितने लोगों ने अनुग्रह मुआवजे की मांग की है और उनमें से कितने को मुआवजा दिया गया है और कितने को देना बाकी है। कोर्ट ने प्रशासन से याची की याचिका पर योग्यता के आधार पर विचार करने का निर्देश देने के साथ ही 18 जुलाई को मामले की सुनवाई की अगली तिथी निर्धारित की है। 

क्या है मामला

बिहार के कैमूर जिला के करौदा क्षेत्र निवासी याचिकाकर्ता उदय प्रताप सिंह की पत्नी अपने बेटे के साथ प्रयागराज में संपन्न हुए महाकुंभ मेले में आई थीं। 29 जनवरी 2025 को वह मेले से लापता हो गईं। जिसके बाद पांच फरवरी 2025 को उसके बेटे को उसका शव मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज के शव गृह से सौंपा गया। उस समय कोई पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदान नहीं की गई। याचिकाकर्ता ने बिहार में शव का ऑटोप्सी कराया जिसमें प्रथम दृष्टया मौत का कारण दबाव से पसलियों का टूटना बताया गया। इस आधार पर याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के नीति की शर्तों के आधार पर मुआवजे की मांग की है।

Courtsy amarujala
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments