Saturday, July 5, 2025
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Monsoon Alert: समय से पहले केरल में दस्तक दे सकता है मानसून; अगले 4-5 दिनों में मिल सकती है खुशखबरी

दक्षिण-पश्चिम मानसून तय अनुमानित समय से पहले केरल में दस्तक दे सकता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के अगले चार-पांच दिनों में केरल पहुंचने की संभावना है। यह 1 जून की सामान्य तिथि से काफी पहले है। मौसम विभाग ने पहले पूर्वानुमान लगाया था कि मानसून 27 मई तक केरल में दस्तक देगा। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, अगर मानसून उम्मीद के मुताबिक केरल पहुंचता है तो यह 2009 के बाद से सबसे जल्दी दस्तक देगा। तब यह 23 मई को शुरू हुआ था।

Monsoon likely to reach Kerala in 4-5 days IMD Predict Know all about it

आईएमडी ने मंगलवार दोपहर को एक अपडेट में बताया कि अगले 4-5 दिनों के दौरान केरल में मानसून के दस्तक देने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होने की संभावना है। आम तौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून तक केरल में दस्तक देता है। इसके बाद 8 जुलाई तक यह पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्तूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।
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पिछले साल 30 मई को दक्षिणी राज्य में मानसून ने दस्तक दी थी। 2023 में मानसून 8 जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में 29 मई को केरल पहुंच था। आईएमडी ने अप्रैल में 2025 के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया था। इसमें अल नीनो की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया गया था। अल नीनो भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से के लिए जिम्मेदार होता है।
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आईएमडी के औसत आंकड़ों को समझिए
  • 50 साल के औसत 87 सेमी के 96 प्रतिशत और 104 प्रतिशत के बीच वर्षा को ‘सामान्य’ माना जाता है।
  • दीर्घावधि औसत के 90 फीसदी से कम वर्षा को ‘कम’ माना जाता है।
  • 90 प्रतिशत से 95 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से कम’ माना जाता है।
  • 105 प्रतिशत से 110 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से अधिक’ माना जाता है।
  • 110 प्रतिशत से अधिक वर्षा को ‘अधिक’ वर्षा माना जाता है।
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मानसून अहम क्यों?
भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून अहम है। कृषि से ही लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका चलती है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान कृषि का ही रहता है। यह देश भर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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