कहावत है कि सुरक्षा ऐसी कि परिंदा पर न मार सके। लेकिन केंद्रीय कारागार नैनी में बंद अतीक के बेटे अली के मामले में चूक हो गई। उसकी निगरानी के लिए कदम दर कदम आंखें गड़ी रहती हैं। पहले वह हाई सिक्योरिटी बैरक में था।
कहावत है कि सुरक्षा ऐसी कि परिंदा पर न मार सके। लेकिन केंद्रीय कारागार नैनी में बंद अतीक के बेटे अली के मामले में चूक हो गई। उसकी निगरानी के लिए कदम दर कदम आंखें गड़ी रहती हैं। पहले वह हाई सिक्योरिटी बैरक में था। उमेश पाल हत्याकांड के बाद उसे हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया। फिर भी उसके पास तक नकदी पहुंच गई और निगरानी तंत्र की नजर में नहीं आया।
माफिया अतीक अहमद के बेटे अली के साथ उसके गैंग के दो दर्जन से अधिक लोग बंद हैं। जेल परिसर में उसकी मुलाकात पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा हुआ है। उसकी 24 घंटे निगरानी की जाती है। हत्याकांड के बाद से जेल में बंद बड़े अपराधियों, उग्रवादियों ओर आतंकवादियों की मुलाकात एलआईयू की निगरानी में की जाती है। साथ ही मुलाकात उस स्थान पर कराई जाती है, जो परिसर सीसीटीवी कैमरों से लैस हों।
व्यवस्था यह है कि मुलाकात के बाद बैरक में जाने से पहले बंदियों व उसके मुलाकातियों की ओर से लाए गए सामानों की जांच की जाती है। जेल में मुलाकातियों और उनके सामान की जांच जेल गेट पर होती है। इसके बाद अंदर आने पर गेट नंबर दो पर फिर से जांच की जाती है। इसके बाद वे बंदी से मुलाकात करते हैं।
24 घंटे में क्यों नहीं हुई तलाशी
नैनी। अली से सोमवार को अधिवक्ता मुलाकात करने पहुंचा था। मंगलवार को डीआईजी ने उसकी बैरक की तलाशी ली और नकदी बरामद की गई। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि 24 घंटे में उसकी और उसके बैरक की एक बार भी तलाशी क्यों नहीं ली गई। जबकि पूर्ण रूप से सीसीटीवी कैमरों की नजर में रहने के अलावा हाई सिक्योरिटी सेल के आसपास बंदी रक्षकों व लंबरदारों की ड्यूटी लगाई जाती है। सीसीटीवी कैमरों की निगरानी के लिए वरिष्ठ जेल अधीक्षक कार्यालय के पास एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां पर हर समय बंदी रक्षकों की ओर से पूरे जेल परिसर की निगरानी की जाती है।
Courtsy amarujala