प्रयागराज। नगरवासी मंगलवार को महाकवि कालिदास रचित कालजयी संस्कृत नाट्य ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम’ की शानदार नौटंकी प्रस्तुति से रू-ब-रू हुए।
इस कालजयी रचना को जिस प्रकार के मंच विन्यास और अनुकूल दृश्यावलोकन की आवश्यकता प्रतीत होती है उसको बेहद ही कलात्मकता के साथ अतुल यदुवंशी ने अपने निर्देशकीय सूझ-बूझ से रचा-गढ़ा। महाकाव्य की बोधगम्यता को नौटंकी के कलेवर से और गति मिली साथ ही संगीत की शास्त्रीयता की झलक भी। स्वर्ग रंगमण्डल के मंजे हुए कलाकारों ने दर्शकों को अपने भावपूर्ण गायन और अभिनय की जो रेंज दिखायी और जिस सहजता से वह प्रवाहमय सांगीतिक प्रस्तुति मंचित कर रहे थे वह वाकई दिगग्जों को भी अचंभित कर रहा था।
शाकुन्तला के चरित्र में प्रेक्षा देशपाण्डेय और राजा दुष्यंत की भूमिका में कृष्ण कुमार मौर्या ने सभी को अभिभूत किया। अन्य सभी मंचीय अभिनेताओं ने भी अपने-अपने किरदारों को अभिनय से नयी सार्थकता प्रदान की और दर्शकों को अपनी भावपूर्ण गायकी से मोहित किया। संगीत में रौशन पाण्डेय, दिलीप कुमार गुलशन ने हारमोनियम और ढोलक पर नगीना तथा नक्कारे पर रामानंद ने संगत की। प्रस्तुति को आवश्यक शिल्प एवं गति प्रदान की उसके साथ ही मार्मिक अलापों के साथ नौटंकी को भावों से सजाया। पात्रों के अनुरूप वेश भूषा शिल्पी यदुवंशी की रही व प्रकाश संयोजन सुजॉय घोषाल संग रूप-सज्जा मो० हामिद अंसारी की रही।
इस अवसर पर देश के प्रतिष्ठित संस्कृति विद्वानों की उपस्थिति रही जिनमें प्रमुखता से प्रो० राधा वल्लभ त्रिपाठी (भोपाल), डॉ० ज्योतिष जोशी (दिल्ली), डॉ० विजय शंकर शुक्ल (दिल्ली), डॉ० अभिजीत दीक्षित (वाराणसी), डॉ० राजेश मिश्र (प्रयागराज), डॉ० अमितेश कुमार (प्रयागराज), सुश्री शालू शुक्ला (लखनऊ) एवं डॉ० अल्का प्रकाश (प्रयागराज) सहित प्रयागराज के सभी वरिष्ठ रंग निर्देशक भी उपस्थित रहे।
Anveshi India Bureau