बांदा के एक युवा ने ऐसी पाम पेमेंट डिवाइस पर काम शुरू किया है, जो हथेली दिखाते ही सेकेंडों में भुगतान कर देगी। इसके लिए बैंक कार्ड या मोबाइल फोन की जरूरत नहीं होगी। ऐसा हो सका तो भुगतान की लंबी कतारें बीते दिनों की बात हो जाएगी।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के स्टार्टअप समिट में पहुंचे बांदा निवासी दीपांशु मिश्रा इस डिवाइस पर जनवरी-24 से काम कर रहे हैं। यूनाइटेड इंजीनियरिंग कॉलेज से बीबीए के बाद वह स्कॉटलैंड के ग्लास्गो विश्वविद्यालय से ग्लोबल बिजनेस में एमबीए कर चुके हैं।
दीपांशु बताते हैं कि दुनिया के कई देशों में उन्नत तकनीक से भुगतान हो रहा है। जैसे, चीन में वी चैट से भुगतान हो रहा है तो उत्तरी अमेरिका में मशीन के पास फोन ले जाते ही पेमेंट हो जाता है। इसी तर्ज पर वह पाम पेमेंट सिस्टम पर काम कर रहे हैं।
इसमें ग्राहक जैसे ही पाम (हथेली) को मशीन के पास ले जाएगा, वह पेमेंट ले लेगी। इससे पेमेंट की प्रक्रिया में तेजी आएगी। लोगों का समय भी बचेगा। इस पेमेंट सिस्टम की जरूरत और मांग को लेकर बाजार का अध्ययन कर चुके हैं। अब तकनीकी दिशा में आगे बढ़ते हुए ग्लास्गो विश्वविद्यालय समेत कई अन्य का सहयोग ले रहे हैं। इस पेमेंट सिस्टम को बनाने में कितना वक्त लग सकता है? दीपांशु कहते हैं, इस पर अभी कुछ भी स्पष्ट बता पाना कठिन है।
सपना साकार करने की चुनौतियां भी कम नहीं
पाम पेमेंट सिस्टम को साकार करने में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। दीपांशु बताते हैं कि हथेली स्वैप करने को लेकर कई तरह की कानूनी बाधाओं को पार करना होगा। देश की विभिन्न नियामक संस्थाओं से इसकी अनुमति मिलना आसान नहीं है। इसके लिए हर पहलू को देखकर आगे बढ़ रहे हैं।
Courtsy amarujala.