सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि भारत में संविधान के कारण ही लोकतंत्र की नींव मजबूत है। अनेकता में एकता भारत की आत्मा है। विविधता, सामुदायिक भाईचारा और समानता से ही देश समृ़द्ध होगा।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि भारत में संविधान के कारण ही लोकतंत्र की नींव मजबूत है। अनेकता में एकता भारत की आत्मा है। विविधता, सामुदायिक भाईचारा और समानता से ही देश समृ़द्ध होगा। उन्होंने कोलेजियम सिस्टम को सही ठहराते हुए राज्यों एवं केंद्र के बीच शक्ति संतुलन पर भी जोर दिया। सीजेआई शनिवार को इलाहाबाद विवि में कांस्टीट्यूशन एंड कांस्टीट्यूशनलिज्म : द फिलोस्फी ऑफ डॉ. बीआर आंबेडकर विषय पर आयोजित सेमिनार को बताैर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कोलेजियम सिस्टम के तहत नियुक्तियों में राज्य एवं केंद्र सरकार तथा विभिन्न एजेंसियों के इनपुट शामिल होते हैं और इसके आधार पर ही न्यायमूर्तियों की नियुक्ति होती है। कई देशों में केंद्र और राज्यों में अलग-अलग संविधान कार्य करते हैं लेकिन भारत में एक ही संविधान राज्यों और केंद्र के लिए कार्य करता है। जिला स्तर से न्यायिक व्यवस्था प्रारंभ होकर हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जाती है। इससे सभी को न्याय की अवधारणा संभव हो पाई है।
उन्होंने कहा कि डाॅ. आंबेडकर के कारण ही भारतीय संविधान में एकल नागरिकता को स्वीकार किया गया। उनके प्रयासों से ही देश की शक्ति संरचना को तीन चरणों यानी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में समांतर रूप से विभाजित किया जा सका। सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विक्रम नाथ ने कहा कि डाॅ. आंबेडकर ने उदारवाद और सामाजिक न्याय के विचार को जन्म दिया। उन्होंने सभी के लिए सुलभ न्याय की अवधारणा को संविधान के जरिए रखा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरूण भंसाली ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के जीवन और कार्यों ने वर्तमान भारत की नींव रखी। डॉ. आंबेडकर का दृष्टिकोण केवल एक कानूनी दस्तावेज का मसौदा तैयार करने तक सीमित नहीं था, बल्कि स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व से परिपूर्ण देश के निर्माण का एक नैतिक वादा था। बाबासाहेब के लिए संविधान समाज में व्याप्त असमानता और अस्पृश्यता को दूर करने का एक महत्वपूर्ण साधन था।
इससे पहले कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने अध्यक्षीय भाषण में कविता के माध्यम से जस्टिस बीआर गवई के व्यक्तित्व को सबके सामने रखा। उन्होंने विश्वविद्यालय के गरिमामयी इतिहास को भी सामने रखा। इससे पहले विश्वविद्यालय की 15 यूपी एनसीसी बटालियन ने अतिथियों को गार्ड आफ ऑनर दिया। इसी क्रम में विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया गया। सेमिनार में मुख्य न्यायाधीश गवई को सम्मानपत्र प्रदान किया गया।
राजनीति, संस्कृति एवं शिक्षा का त्रिवेणी है प्रयागराज : बीआर गवई
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने प्रयागराज को राजनीति, संस्कृति एवं शिक्षा की त्रिवेणी बताया। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गरिमामयी इतिहास की चर्चा करने के साथ परिसर के माहौल एवं कुलपति के कार्यों की भी सराहना की। विश्वविद्यालय में आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में संगमनगरी की बड़ी भूमिका रही है। प्रयागराज का साहित्य एवं संस्कृति में खास स्थान है। यहां से कई नामचीन साहित्यकार, कवि एवं शायर निकले हैं। उन्होंने कहा कि इविवि देश के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से है और इस संस्थान से कई प्रमुख लोग निकले हैं। यहां के प्राचीन भवनों को देखकर भी इसकी भव्यता का एहसास होता है। सीजेआई ने मंच से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विक्रम नाथ के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों का भी जिक्र किया।
विवि को मिले तीन नए शैक्षणिक भवन
विश्वविद्यालय को शनिवार को तीन नए शैक्षणिक भवन भी मिले। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अन्य अतिथियों संग रसायन विज्ञान एवं केंद्रीय पुस्तकालय के नए भवनों तथा लेक्चर थिएटर काॅम्प्लेक्स का लोकार्पण भी किया।



