जिले में कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि साल 2024 में ही 1.40 लाख लोग कुत्तों के हमलों का शिकार हुए हैं। वहीं, 2023 में 59 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा था। इन सबके बावजूद जिम्मेदार आंख मूंद कर बैठे हैं और लोगों की जान पर आफत बनी हुई है।
जिले में कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि साल 2024 में ही 1.40 लाख लोग कुत्तों के हमलों का शिकार हुए हैं। वहीं, 2023 में 59 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा था। इन सबके बावजूद जिम्मेदार आंख मूंद कर बैठे हैं और लोगों की जान पर आफत बनी हुई है। हर साल कुत्तों के काटने के मामले दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं। इसकी गवाही खुद भारत सरकार की तरफ से चलाए जा रहे राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) के आंकड़े दे रहे हैं। मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय (कॉल्विन) और तेज बहादुर सप्रू अस्पताल (बेली) में प्रतिदिन कुत्तों के काटने के 50 से अधिक मामले सामने आते हैं।
करीब 71 लाख की आबादी वाले जनपद के हर मोहल्ले में 50 से अधिक आवारा कुत्ते हैं। रात के समय इन कुत्तों से बच कर निकलना बड़ा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि झुंड में मौजूद यह कुत्ते कब हमला बोल दें कुछ पता नहीं। इतना हीं नहीं वर्तमान में कुत्ते पहले से ज्यादा खूंखार हो गए हैं। एनआरसीपी की एक रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2024 में नौ हजार लोगों को कुत्तों ने बुरी तरह से जख्मी किया था। यह आंकड़ा वर्ष 2023 के 3.50 हजार की तुलना में दोगुने से भी अधिक रहा। वर्ष 2024 के फरवरी माह में सबसे अधिक 2800 लोगों को कुत्तों ने बुरी तरह से काटकर जख्मी किया। कुछ लोगों का तो कुत्तों ने मांस तक नोच लिया।
एनआरसीपी के आंकड़े
वर्ष कुत्तों ने इतने लोगों को खरोंचा काटने के बाद खून निकला बुरी तरह से जख्मी किया कुल संख्या
2024 33,258 97,893 8,865 1,40,016
2023 31,237 24,152 3,559 58,948
पालतू कुत्ते भी कम खूंखार नहीं
आम तौर पर देखा जाता है कि राह पर चलते समय कुत्ते बाइक कार के पीछे दौड़ते हैं या फिर लोगों को काटकर भाग जाते हैं। वहीं, पालतू कुत्ते काटते कम हैं, मगर हिंसक ज्यादा होते हैं। यह इंसान को बुरी तरह से जख्मी करके छोड़ते हैं। लोग अपने घरों में खूंखार प्रजाति के कुत्ते पालना पसंद करते हैं, जिसमें जर्मन शेफर्ड, पिटबुल, रॉटविलर, और डोबर्मन पिंसर नस्ल के कुत्ते मुख्य हैं। कॉल्विन और बेली अस्पताल के आंकड़ों की बात करें तो 40 फीसदी घरेलू और 60 फीसदी मामले बाहरी कुत्तों के काटने के आते हैं। मगर पालतू कुत्तों में 30 फीसदी बुरी तरह से काटने के मामले हैं। जबकि बाहरी कुत्तों में इस तरह के मामले 15 फीसदी ही होते हैं।
एनआरसीपी की रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है। इसके अलावा गंभीर रूप से जिन लोगों को कुत्ते काटते हैं, उनके लिए इम्यून ग्लोब्युलिन इंजेक्शन बेली अस्पताल में रखा गया है। – डॉ. यश अग्रवाल, नोडल, एनआरसीपी, प्रयागराज