Sunday, September 14, 2025
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Prayagraj : नसबंदी के बाद मां बनी महिला को दो लाख हर्जाना व बेटी को हर्जा-खर्चा दे सरकार

नसबंदी के बावजूद महिला को बच्चा पैदा होने का मामला स्थायी लोक अदालत में पहुंचा। कोर्ट ने बेटी के भरण पोषण के लिए पांच हजार रुपया प्रतिमाह 18 साल तक या स्नातक की पढ़ाई पूरी होने तक देने का आदेश सरकार को दिया है। साथ ही महिला को दो लाख रुपये हर्जाना देने का भी निर्देश जारी किया है।

प्रयागराज की स्थायी लोक अदालत ने नसबंदी के बावजूद मां बनने पर सरकार पर दो लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। साथ ही पैदा हुई बेटी के भरण-पोषण के लिए पांच हजार रुपये प्रतिमाह 18 साल की उम्र तक या स्नातक की पढ़ाई पूरी होने तक अदा करने का आदेश दिया है। वहीं, सरकार को अनचाहे गर्भ से पीड़िता को मानसिक तकलीफ के लिए 20,000 रुपये अदा करने होंगे।

यह आदेश स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष विकार अहमद अंसारी, सदस्य डॉ. ऋचा पाठक और सतेंद्र मिश्रा की पीठ ने फूलपुर निवासी महिला के परिवाद पर दिया है। मामला 2013 का है। कई बच्चों के बाद महिला ने 25 अक्तूबर को मऊआइमा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉ. नीलिमा से नसबंदी कराई थी। कुछ दिनों बाद उसे परेशानी हुई तो अल्ट्रासाउंड कराया। 31 जनवरी 2014 को पता चला कि उसके पेट में 16 सप्ताह छह दिन का गर्भ है। इसके बाद उसने बेटी को जन्म दिया। आर्थिक तंगी से जूझ रही महिला के लिए यह तगड़ा झटका था। इसके खिलाफ पीड़िता ने प्रयागराज के सीएमओ को पक्षकार बनाकर स्थायी लोक अदालत का दरवाजा खटखटाया। महिला ने 11 कानूनी लड़ाई लड़ी तो फैसला आया।

 

महिला ने कहा-सरकार की गलती…वही उठाए खर्च

महिला ने अदालत में कहा, डॉक्टर की गलती से मेरी जिंदगी फिर से उलझ गई। अब इस बच्चे का खर्च मैं क्यों उठाऊं? नसबंदी में चूक सरकार की ओर से हुई है तो बेटी का खर्च भी सरकार ही उठाए। असफल नसबंदी के लिए पांच लाख मुआवजा व बेटी के भरण-पोषण के लिए 25,000 रुपये प्रतिमाह की मांग की।

सरकार बोली…ऑपरेशन की विफलता की समय से नहीं दी जानकारी

सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि ऑपरेशन एक अनुभवी डॉक्टर ने किया था। महिला ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। ऑपरेशन की विफलता की सूचना तीन माह की निर्धारित अवधि में नहीं दी गई। इसलिए याची मुआवजे की हकदार नहीं है।

अदालत ने कहा…सरकारी नाकामी का बोझ महिला पर डालना ठीक नहीं

अदालत ने माना कि नसबंदी ऑपरेशन की विफलता स्पष्ट रूप से चिकित्सा लापरवाही का परिणाम है। सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबंदी को बढ़ावा देती है तो उसकी नाकामी का बोझ किसी महिला पर नहीं डाल सकती।

 

 

Courtsy amarujala

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