प्रयागराज। प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैय्या) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के संस्कृत विभाग एवं राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय, प्रयागराज, संस्कृति विभाग , उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्त्वावधान में त्रिदिवसीय “दुर्लभ पाण्डुलिपि प्रदर्शनी” 21 जुलाई से 23 जुलाई तक का कार्यक्रम गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय परिसर के अकादमिक भवन ब्लॉक बी में प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डाॅ.अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि पाण्डुलिपियां भारतीय संस्कृत और संस्कृति की आधारशिला है। हमें अपनी संस्कृति अपने धरोहर और अपनी पाण्डुलिपियों को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए, जिससे हमारी भावी पीढ़ी इससे शिक्षा लेकर अपने अस्तित्व को संरक्षित करते हुए भविष्य के सपनों को साकार कर सके। इतिहासविद प्रो. राजकुमार गुप्त ने कहा कि पांडुलिपियाँ हमारे देश की अमूल्य धरोहर हैं। उनकी सुरक्षा करना और उनसे शिक्षा लेकर अपने ज्ञान को नित्य-नवीन करना और उन तकनीकी का प्रयोग करके नए-नए नवाचार को बढ़ावा देना, इनका उद्देश्य है। इनका अवलोकन कर हमें सीखना होगा। कार्यक्रम में राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय के प्राविधिक सहायक संस्कृत हरिश्चन्द्र दुबे ने विषय प्रवर्तन किया । संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. प्रवीण कुमार द्विवेदी ने आभार ज्ञापन किया। संस्कृत प्रवक्ता डॉ.पीयूष मिश्र ने समारोह का संचालन किया। इस अवसर पर संस्कृति विभाग के राकेश कुमार वर्मा, डॉ.मनोज कुमार वर्मा, डॉ. प्रदीप कुमार त्रिपाठी, डॉ. अतुल वर्मा, नितिन त्रिपाठी, अनंत जी मिश्र, शिखा श्रीवास्तव, संदीप दुबे, शिवम मिश्र, कैलाशचन्द तिलवाडी,भूषण कुमार आदि छात्र एवं शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सभी ने पाण्डुलिपि प्रदर्शनी का आनन्द लिया एवं उनको अपने अध्ययन-अध्यापन में आत्मसात् करने का संकल्प भी लिया।
Anveshi India Bureau