प्रयागराज। ढोलक की थाप और ढोल वृंद की गूंज से उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का परिसर बुधवार को जीवंत हो उठा। उत्तर मध्य क्षेत्र संस्कृति केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत, सरकार द्वारा आयोजित 12 दिवसीय “दीपावली शिल्प मेला” का शुभारंभ उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत्यकाम ने केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा के साथ गणेश प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन करके किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत मनमोहक गणेश वंदना से हुई। इसके बाद सौदामिनी संस्कृत विद्यालाय के बटुकों द्वारा स्वस्तिवाचन ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः प्रस्तुत किया। इसी कड़ी में प्रसिद्ध भजन गायक रत्नेश मिश्रा ने “प्रभु हम भी शरणागत हैं”, “जाकी गति हैं हनुमान की”, “रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया” जैसे भजनों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

इसके पश्चात अभिषेक एवं दल ने उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध ढेढ़िया लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं मुरारी लाल तिवारी एवं दल ने ब्रज के लोकनृत्य प्रस्तुत कर ब्रज की परंपरा और रंगों को जीवंत कर दिया। मुख्य अतिथि प्रो. सत्यकाम ने कहा कि दीपावली शिल्प मेला भारत की विविधता, सृजनशीलता और सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल शिल्पकारों को मंच देते हैं, बल्कि लोक संस्कृति को भी जन-जन तक पहुँचाते हैं। स्वागत उद्बोधन में निदेशक सुदेश शर्मा ने कहा कि “हस्तशिल्प, कारीगरी और स्वदेशी उत्पादों को जनमानस से जोड़ना तथा ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को सशक्त बनाना केंद्र का प्रमुख उद्देश्य है। भारत की आत्मा आज भी अपने शिल्पकारों के हाथों में बसती है, जो मिट्टी, धागे, लकड़ी, धातु और रंगों से भारतीय संस्कृति को आकार देते हैं।”
संगत कारों में रवि बचपेयी (कीबोर्ड), उदय कुमार (तबला), राजा भट्ट (ढोलक) एवं साहिल कुमार (ऑक्टोपैड) ने साथ दिया। कार्यक्रम के अंत में सहायक निदेशक सुरेंद्र कश्यप ने अतिथियों एवं उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया। अपने चिर परिचिच अंदाज में मंच का संचालन डॉ. आभा मधुर ने किया।
इस अवसर पर केंद्र के समस्त अधिकारी, कर्मचारी सहित कल्पना सहाय, प्रदीप भटनागर, अभिलाष नारायण, प्रो. हरि दत्त तिवारी सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
Anveshi India Bureau



