Thursday, September 19, 2024
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राग भैरवी राग एक , रूप अनेक ” पर आधारित 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

प्रयागराज।केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग से व्यंजना आर्ट एंड कल्चर सोसायटी द्वारा “राग भैरवी राग एक, रूप अनेक” पर आधारित 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का प्रशिक्षण व्यंजना आर्ट एण्ड कल्चर सोसाइटी की गुरु डॉ. मधु रानी शुक्ला ने किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. रेनू जौहरी एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. ज्योति मिश्रा रहीं। कार्यक्रम में राग भैरवी पर आधारित गानों की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम की शुरुआत फिल्मी गाने “हमें तुमसे प्यार कितना” एवं “जूता है जापानी” से हुई, इसके बाद भोजपुरी लोकगीत “उठ उठ भोला हो” को प्रस्तुत किया गया, कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए राग ध्यान की प्रस्तुति की गई। भैरवी में निबद्ध रचनाओं जिनमे आलाप, सरगम, लक्षण गीत, ध्रुपद शैली में वासिफऊद्दिन डागर की रचना “तू ही ब्रम्हा तू ही विष्णु” की प्रस्तुति की गई। इसके बाद खयाल में मध्यलय ख्याल “कैसी ये भलाई रे” तथा द्रुतलय खयाल “बाँट चलत मोरी चुनरी रंग डाली” गाया गया। ठुमरी में “नाहक लाए गवनवा” भी विद्यार्थियों द्वारा सीखा गया। उपशास्त्रीय विधा दादरा में “चला रे परदेसिया नैना लगा के” गाया। कार्यक्रम में चतुरंग रचना पंडित विनोद द्विवेदी की एवं तराना शैली रचना डॉ. मधु शुक्ला का भी गायन हुआ। पं. छन्नू लाल मिश्र जी द्वारा स्वरबद्ध भजन “सिर धरे मटुकिया” एवं उस्ताद नुसरत फतेह अली खाँ साहब की रचना “दिल पे ज़ख्म खाते हैं” का भी प्रस्तुतीकरण हुआ। गायन प्रस्तुत करने वाले कलाकारों में शांभवी, अभिलाषा, विशाखा, कीर्ति, ज्योति, सोनाली, रंजना, प्रिया, रुचि, आरती, वेदान्त, सात्विक, अथर्व आदि शामिल रहे। हारमोनियम पर अनुराग मिश्रा, ढोलक पर अजीत कुमार, तबले पर शुभम पटवा और सितार पर सामर्थ राज रहे, कार्यक्रम का संचालन सृष्टि गुप्ता ने किया, स्वागत तथा आभार ज्ञापन संस्था के सचिव डॉ मधु रानी शुक्ला ने किया।

Anveshi India Bureau

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