प्रयागराज l विद्या भारती से संबद्ध काशी प्रांत के रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज राजापुर प्रयागराज के सभागार में प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय के संयोजन में चल रहे पांच दिवसीय प्रांतीय प्रधानाचार्य एवं कार्यालय प्रमुख योजना बैठक के चौथे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश जी, सह प्रांत प्रचारक सुनील जी एवं विभाग प्रचारक आदित्य जी सहित विद्या भारती के अधिकारियों एवं अन्य सम्मानित अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन से प्रारंभ हुआ l
क्षेत्रीय संगीत संयोजक एवं मीडिया प्रभारी मनोज गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम के प्रथम सत्र में प्रधानाचार्य एवं क्षेत्रीय विज्ञान प्रमुख बांके बिहारी पाण्डेय ने अटल टिंकरिंग लैब (ए.टी.एल.), प्रधानाचार्य बलवंत सिंह ने ज्ञान विज्ञान तथा प्रधानाचार्य सुरेश चंद्र श्रीवास्तव ने कौशल विकास के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से वर्णन किया l तृतीय सत्र में भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उत्तर प्रदेश के मंत्री शरद कुमार गुप्त की अध्यक्षता में आनंद जी ने गुरुशाला पर व्यापक चर्चा की, तत्पश्चात भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उत्तर प्रदेश के कोषाध्यक्ष राकेश सेंगर ने समिति पंजीयन नवीनीकरण, भू अभिलेखो का रखरखाव, कार्यालयी अभिलेखों का रखरखाव तथा ई.पी.एफ. एवं ई.एस.आई. उनके बाद वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट एन.सी. अग्रवाल ने वित्तीय प्रबंधन, जीएसटी एवं अंकेक्षण के बारे में आए हुए कार्यालय प्रमुखों को विस्तार से बताते हुए उनका मार्गदर्शन किया तथा उनके साथ आने वाली समस्याओं का निराकरण एवं उपाय बताया l
प्रधानाचार्यों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश जी ने पंच प्राणों सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्व का बोध , नागरिक कर्तव्य एवं पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विद्या भारती के प्रेरणा का केंद्र व पांच परिवर्तन तथा शताब्दी वर्ष में विद्या भारती कार्यकर्ताओं की भूमिका का विस्तार से वर्णन करते वह कहा कि विद्या भारती, जो एक शिक्षा संगठन है, की प्रेरणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से मिलती है। RSS ने 1952 में शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए कुछ लोगों को प्रेरित किया और “सरस्वती शिशु मंदिर” की स्थापना की, जो बाद में विद्या भारती के रूप में विकसित हुआ, इन लोगों ने नवोदित पीढ़ी को शिक्षा और संस्कारों से परिचित कराने के लिए “सरस्वती शिशु मंदिर” की स्थापना की, उत्तर प्रदेश में शिशु मंदिरों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी, जिसके बाद 1958 में “शिशु शिक्षा प्रबंध समिति” का गठन किया गया. अन्य प्रदेशों में भी जब विद्यालयों की संख्या बढ़ी, तो वहां भी प्रदेश समितियों का गठन हुआ। उदाहरण के लिए, पंजाब एवं चंडीगढ़ में सर्वहितकारी शिक्षा समिति, हरियाणा में हिन्दू शिक्षा समिति, और असम में शिशु शिक्षा समिति बनी।
इन सभी प्रयासों ने 1977 में अखिल भारतीय स्वरुप लिया और विद्या भारती संस्था का प्रादुर्भाव दिल्ली में हुआ। इसके बाद सभी प्रदेश समितियां विद्या भारती से संबद्ध हो गईं l
विद्या भारती के द्वारा लगभग हजारों से ज्यादा शिक्षा संस्थान का कार्य हुआ l विद्या भारती, शिक्षा के सभी स्तरों – प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च पर कार्य कर रही है। विद्या भारती, शिक्षा के सभी स्तरों – प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च पर कार्य कर रही है। इसके अलावा यह शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करती है।
आज की बैठक पांच सत्रों में संपन्न हुई जिसमें विद्यालय अभिलेखो का निरीक्षण, सुधार एवं सुझाव योजना संकुलश: संपन्न हुई l इस अवसर पर समस्त प्रधानाचार्य एवं कार्यालय प्रमुख उपस्थित रहे l
स्वागत प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय ने तथा प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी ने संपूर्ण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की एवं संचालन किया l
Anveshi India Bureau