प्रयागराज। शिक्षक अपनी भूमिका को केवल कक्षा तक सीमित न करते हुए छात्रों के साथ सदैव जुड़े रहें, साथ ही छात्रों की भूमिका को पहचान कर उसकी क्षमता को भी विकसित करें और उसे समाज में सफल व्यक्ति के रूप में प्रतिस्थापित कर बच्चें के रोल माडल बनें। यह वक्तव्य एम०डी०पी०जी० कॉलेज, प्रतापगढ़ की शिक्षाशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो० ऊषा दुबे ने व्यक्त किए। वह दिनांक 11.04.2025 को ठा0 हर नारायण सिंह डिग्री कॉलेज, करैलाबाग, प्रयागराज में शिक्षाशास्त्र द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान में चैलेन्जेज इन एजुकेशन विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि छात्रों की ज्ञान पिपासा को शान्त न होने दें। उदाहरण देते हुए समझाया कि पानी जब तक गतिमान रहता है तब तक वह साफ रहता है, जब वह स्थिर हो जाता है तो गन्दा हो जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सदैव अपने ज्ञान चच्छुओं को खोले रखें तभी व्यक्तित्व का सही निर्माण सम्भव है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के द्वारा ही आत्मविश्वास बढ़ता है। प्रत्येक बालक के अन्दर बहुत कुछ होता है आवश्यकता है उसे बाहर निकालने की।
विशेष व्याख्यान की शुरुआत मुख्य वक्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० अजय कुमार गोविन्द राव ने विष्णुपुराण के कथन ‘सा विद्या या विमुक्तये’ को उद्धरित करते हुए कहा कि विद्या वही है जो मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। उन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा को आत्मसात कर आचरण में उतारने पर बल दिया।
अतिथियों का धन्यवाद शिक्षाशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ० ज्योति यादव ने किया। संचालन डॉ० अम्बिका प्रसाद ने किया। इस अवसर पर डॉ० पूजा ठाकुर, डॉ० जितेन्द्र वर्मा, विवेक मिश्रा, संदीप सिंह, विजय आनन्द सिंह, श्रीमती मोनिका कुशवाहा, सुश्री प्रिया सिंह, डॉ० आराधना मुखर्जी, डॉ० आरती जायसवाल, अभिषेक श्रीवास्तव, अजीत उपाध्याय तथा लगभग 400 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
Anveshi India Bureau