Saturday, July 5, 2025
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Shooting : संघर्षों के बीच दीक्षा साध रही हैं लक्ष्य पर निशाना, ओलंपिक में पदक जीतने का है सपना

परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद दीक्षा अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटीं। कोचिंग पढ़ाकर मिलने वाले पैसे एकत्र कर वह साइकिल से घर से 15 किलोमीटर दूर स्थित शूटिंग रेंज ज्वाइन किया। साइकिल में भोर में चार बजे पहुंचना ही अपने आप में एक चुनौती है लेकिन, दीक्षा पीछे नहीं हटीं।

यमुनापार के महेवा में स्थित गंगोत्रीनगर की रहने वाली दीक्षा वैश्य रोजना 15 किलोमीटर की दूरी तय कर महेवा से तेलियरगंज आती हैं और निशाना साधती हैं। दीक्षा बताती हैं कि वे एक बार मेले में गुब्बारे पर निशाना लगाने वाली दुकान पर पहुंचीं। 20 में से 18 गोली से गुब्बारे फोड़ दिए। इस पर दुकान वाले ने कहा कि निशाना इतना अच्छा है तो निशानेबाज क्यों नहीं बन जाती। इसी एक शब्द ने उन्हें निशानेबाजी के क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित कर दिया।

दीक्षा ओलंपिक में निशाना लगाने की तैयारी कर रही हैं। पिता फेरी लगाने का काम करते हैं। पिता की आर्थिक स्थिति को देखकर कभी घर पर कहने की हिम्मत नहीं हुई। हालांकि, निशानेबाजी का इतना जुनून था कि खुद ही शूटिंग रेंज के बारे में पता किया। रेंज घर से 15 किलोमीटर दूर होने और फीस ज्यादा होने के चलते अरमान को दिल में ही संजो कर रह गई। इसके बाद दीक्षा ने फैसला किया कि खुद कमाएंगी और इसके जरिये ही रेंज में अभ्यास करेगी।

ट्यूशन पढ़ाकर शूटिंग रेंज में लिया दाखिला

फिर दीक्षा ने घर-घर जाकर बच्यों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। कुछ धन इकट्ठा हुआ तो पिता के सहयोग से रेंज में दाखिला ले लिया। 15 किलोमीटर दूर रेंज में सुबह चार बजे पहुंचना आसान नहीं था, लेकिन दुढशक्ति इतनी मजबूत थी कि मौसम की हर मार झेलते हुए सुबह चार बजे सइकिल से गंगोत्रीनगर से तेलियरगंज का सफर तय करने लगीं। कई बार उतार-चढ़ाव की स्थिति आई। पैसे की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण एक वक्त ऐसा भी आया की उन्हें आठ महीने के लिए रेंज को छोड़ना पड़ा, लेकिन फिर पैसों की व्यवस्था कर रेंज को दोबारा ज्वाइन किया।

लक्ष्य सिर्फ एक है कि निशानेबाजी में इतना माहिर हो जाना है कि ओलंपिक में देश के लिए पदक जीत सकें। दीक्षा का कहना है कि यह बेहद महंगा और बड़ा सपना है, लेकिन यह सपना उन्हें कभी सोने नहीं देता है। ट्यूशन पढ़ाकर निशानेबाजी की फीस ही अदा हो सकती है, किट की व्यवस्था किसी तरह कर पाई हैं। पिता का कहना है कि बेटी के सपने में ही उनका सपना है। बेटी की हर संभव मदद कर रहे हैं और वह जरूर देश के लिए पदक जीतेगी।

प्री स्टेट में जीत चुकी हैं स्वर्ण पदक

21 वर्षीय दीक्षा राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी हैं और प्री-स्टेट में स्वर्ण व रजत पदक भी जीत चुकी हैं। इसके अलावा 15 से 31 दिसंबर तक भोपाल में होने वालीं राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगी। शहर के प्रतिभावान लोगों ने हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किया है और शहर का नाम वैश्विक स्तर पर बुलंद किया है। निशानेबाजी ऐसा खेल है, जहां प्रयागराज का प्रतिनिधित्व अभी उस तरह का नहीं है, जैसा होना चाहिए।

अब जो बच्चे निकल रहे हैं, उनकी प्रतिभा आश्चर्यचकित करने वाली है। दीक्षा 2021 से ही मेरे पास निशानेबाजी का गुर सीख रही हैं वह मेहनती निशानेबाज हैं, दीक्षा ने रेंज जॉइन करने के बाद एक साल में ही राज्यस्तर पर मेडल जीता। दीक्षा बिल्कुल समय से रेंज में अभ्यास के लिए पहुँचती हैं। उम्मीद की वह जल्द ही भारतीय टीम का हिस्सा बनेंगी। – शरद नाथ, प्रशिक्षक व सचिव प्रयाग शूटिंग एसोसिएशन

Courtsy amarujala.com
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