उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र का मुक्ताकाशी मंच बुधवार को गुलजार रहा। सुर-लय और ताल पर संगतकारों की जुगलबंदी के साथ मंच पर रंग बिरंगे परिधान व घुंघरूओं की छम-छम की आवाज हर किसी को अपनी ओर खींच रहा था। कभी राजस्थानी लोकनृत्य, कथक तो कभी हरियाणवी व कालबेलिया लोकनृत्यों की धूम। अवसर था उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आयोजित 15 दिवसीय ग्रीष्मकालीन प्रस्तुतिपरक बाल कार्यशाला का रंगारंग समापन का। शिल्पकला, चित्रकला, कथक तथा लोकनृत्य की कार्यशाला में भाग लेने वाले बच्चों में छिपे हुनर को फलक पर पहुंचाने के लिए राजस्थान, वाराणसी, प्रयागराज व हरियाणा से आमंत्रित प्रशिक्षकों ने पूरी शिद्दत से इन बच्चों के सपनों को एक नई उड़ान दी। कार्यशाला के समापन पर बच्चों ने प्रशिक्षकों के निर्देशन में सीखी हुई विभिन्न विधाओं को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोर कर अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन किया तथा उनके द्वारा एक से बढ़कर एक शानदार प्रस्तुति देखकर अभिभावक तथा वहां उपस्थित दर्शकों ने खूब वाहवाही दी। कार्यक्रम की शुरूआत कृष्ण वंदना “कस्तूरी तिलकम” व “श्रीकृष्ण निरत थूंगा थूंगा” पर कथक नृत्य की प्रस्तुति से होती है। इसके बाद “हरियाणा एक हरियाणवी एक” हरियाणवी तथा कालबेलिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति देकर बच्चों ने खूब धमाल मचाया। कार्यक्रम के दौरान उनके द्वार प्रस्तुत हर एक प्रस्तुति ने वहां पर मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं द्वारा “मेरा दामण सिला दे रे ओ नन्दी के वीरा” पेश कर खूब तालियां बटोरी। कला वीथिका में प्रशिक्षित बच्चों की मूर्तिकला और चित्रकला की प्रदर्शनी भी लगाई गयी जिसे लोगों ने खूब सराहा।
केंन्द्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा के स्वागत उद्बोधन में उन्होंने बच्चों को बधाई देते हुए कहा कि उम्मीद है कि इस कार्यशाला के माध्यम से बच्चों ने 15 दिन में जो सीखा उसका आगे भी वह बेहतरीन प्रदर्शन करते रहेंगे। इसके माध्यम से बच्चो का सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है lतालियों के गड़गड़ाहट के बीच बच्चों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर केंद्र के समस्त अधिकारी, कर्मचारी सहित काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।
Anveshi India Bureau