Sunday, September 14, 2025
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एक राष्ट्र एक चुनाव का निर्णय सर्वोपरि:— न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी 

उत्तर प्रदेश एडवोकेट फोरम की ओर से एक राष्ट= उत्तर प्रदेश एडवोकेट फोरम की ओर से बुधवार को स्टेनली रोड प्रयागराज स्थित इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन हाल (ए एम ए) में *एक राष्ट्र एक चुनाव* विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर किया गया। इससे पहले सभी अतिथियों का स्वागत बुके, अंगवस्त्रम और स्मृति चिन्ह देकर किया गया। संगोष्ठी में सर्वसम्मति से एक राष्ट्र एक चुनाव पर सहमति व्यक्त की। मुख्य अतिथि उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी जी ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव को अमली जामा पहनाया जा सकता है और चूंकि अपना लोकतंत्र संवाद की ही नींव पर खड़ा है इसलिए इसको संवाद के द्वारा ही किया जा सकता है। उन्होंने अलग अलग होने वाले चुनावों की कमियों को इंगित करते हुए कहा कि संवाद की बहुत आवश्यकता है। अलग अलग चुनाव की कमियों को निर्मित करते हुए कहा कि देश हमेशा चुनावी मोड़ में रहता है और उसकी वजह से देश के संसाधनों का अनावश्यक दोहन होता है। इसी कारण देश में एक राष्ट्र एक चुनाव की मांग बलवती हुई है। उन्होंने कहा कि लोकसभा विधानसभाओं के चुनाव में विशाल संसाधन की आवश्यकता पड़ती है। जिसमें मानवीय संसाधन, सुरक्षा संसाधन एवं आर्थिक संसाधन शामिल है। चुनाव में शिक्षकों की सेवाएं ली जाती हैं जिसके कारण शैक्षिक कार्य में व्यवधान होता है और सरकारों को भी नीतिगत निर्णय लेने में व्यवधान उत्पन्न होता है। अगर एक साथ चुनाव होते हैं तो सरकार चुनावी मोड़ से हटकर नीतिगत निर्णय लिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि संबंध में सभी दलों को मिलकर ही सहयोग देना होगा। अध्यक्षता कर रहे उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव ने परिसंपत्तियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा एक राष्ट्र एक चुनाव समय की मांग है और इससे देश के उन संसाधनों की इच्छाएं को रोका जा सकता है जो देश में हर चुनाव में लगते हैं तथा अब उचित समय है कि हम सब एक राष्ट्रीय चुनाव का समर्थन करें वैसे समर्थन दिवस पड़ा करें। उत्तर प्रदेश एडवोकेट फोरम के अध्यक्ष और पूर्व महाधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्व में सभी चुनाव एक साथ ही आयोजित होते थे किंतु 1969 में लोकसभा को भंग कर दिया गया और उसके बाद एक साथ चुनाव का क्रम भंग हो गया। 1983 में पहली बार निर्वाचन आयोग ने एक साथ चुनाव करने की वकालत की।

2014 के बाद इस संबंध में युद्ध स्तर पर प्रयास होने शुरू हुए और 2023 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी। जिसने जनता से सुझाव आमंत्रित कर उन पर विचार कर और इस संबंध में बैठके कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। उत्तर प्रदेश एडवोकेट फोरम के महामंत्री और उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश कुमार अवस्थी जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने एक राष्ट्र एक चुनाव के कार्यक्रम में आने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन मुख्य स्थाई अधिवक्ता उच्च न्यायालय और अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश के पूर्व महामंत्री शीतला प्रसाद गौड़ शीतल ने किया। इस मौके पर अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति श्री राहुल चतुर्वेदी, न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी, न्यायमूर्ति रणविजय सिंह, न्यायमूर्ति अशोक कुमार, अपर सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश जी, हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी जी, सहायक सॉलिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश, वरिष्ठ अधिवक्ता ओ पी सिंह, अमरेंद्र नाथ सिंह,

अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी, मनीष गोयल, अजीत सिंह, एडवोकेट एसोशिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार, कुणाल रवि सिंह, जे एन मौर्या, विजय शंकर मिश्रा, अभिषेक श्रीवास्तव, आलोक त्रिपाठी, सर्वेश कुमार सिंह, कृष्ण मनोहर, मनीष द्विवेदी, उग्रसेन पांडेय, देशदीपक श्रीवास्तव, डा अवधेश चंद्र श्रीवास्तव कृष्ण दत्त मिश्रा, रावेश सिंह आदि उपस्थित रहे।

 

Anveshi India Bureau

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