प्रयागराज। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित दीपावली शिल्प मेले की बुधवार की शाम नृत्य नाटिका के नाम रही। मुक्ताकाशी मंच पर गीत, संगीत और नृत्य की मोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बड़ी संख्या में लोगों ने खरीददारी के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भरपूर आनंद लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. कृष्णा गुप्ता, विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान, प्रयागराज विश्वविद्यालय एवं केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम सलाहकार श्रीमती कल्पना सहाय ने मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया।
सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत बिरहा गायक कंचन लाल यादव की प्रस्तुति ‘सीता बाला पनवा झूलत रही झूलना’ से हुई, जिसने वातावरण को भक्ति रस से भर दिया। इसके बाद रागिनी चन्द्रा ने ‘देवी पचरा गीत लाले रंग सिंदूरा बा…’ और ‘हमारे मिर्जापुर में अलमस्ती के जल बड़ा बेमिसाल बा ना’ जैसी प्रस्तुतियों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
शिवनारायण एवं उनके साथी कलाकारों ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश की लोकनृत्य परंपराओं को दर्शाते हुए चकरी और घूमर की मनमोहक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा ‘देवी शक्ति और महिषासुर का संग्राम’ पर आधारित नृत्य नाटिका, जिसे रवि कुशवाहा एवं साथी कलाकारों ने प्रस्तुत किया। देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए नौ दिवसीय युद्ध को उन्होंने अपने भाव, मुद्राओं और संगीत के माध्यम से जीवंत कर दिया।
नृत्य नाटिका में ‘जयन्ती मंगला काली’ स्तुति के माध्यम से देवी की महिमा का प्रभावशाली चित्रण किया गया। ‘नवदुर्गा’ खंड में मां के नौ रूपों का अभिनय मनोहारी रहा। समापन में महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय के दृश्य ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
Anveshi India Bureau