प्रयागराज। कभी कभी कुछ हादसे ऐसे हो जाते हैं जो इंसानी सोच के बिल्कुल विपरीत होते हैं। कुछ ऐसे हादसे जो एक दूसरे पर संदेह करने पर मजबूर कर देते हैं,और जब हादसा सीरियल किलिंग का हो और अपराधी जांचकर्ता स्वयं पुलिस अधिकारी हो तो लोगों का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है। इसी प्रकार की रहस्य व रोमांच से भरपूर घटना पर आधारित “शालीमार” नाटक का मंचन अखिल भारतीय सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था “एकता” द्वारा शनिवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में किया गया। अगाथा क्रिस्टी के मूल कथा का पुनर्लेखन कर सुदीपा मित्रा ने नाटक का निर्देशन किया ।
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से मंचित नाटक “शालीमार” की कहानी एक नवनिर्मित गेस्ट हाउस के इर्द गिर्द घूमती है। गेस्ट हाउस के ओनर अविनाश एवं उनकी पत्नी दिशा को रेडियो पर अनीता टंडन नाम की एक महिला के कत्ल हो जाने की खबर मिलती है तो दोनों बहुत परेशान हो जाते है। गेस्ट हाउस खुलने के पहले ही दिन इस प्रकार की खबर से पति पत्नी बहुत चिंतित ही जाते हैं कि पहले ही दिन आने वाले गेस्ट पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। अभी पति पत्नी इस विषय पर बात कर ही रहे थे कि कस्टमर (गेस्ट) आने लगे। एक एक कर पांच कस्टमर आते हैं इसमें डेविड, मिसेज आशा,मेजर सुधांशु, रूबी और अंत में गौरव तनेजा आते हैं। पांचों गेस्ट अलग अलग पेशे से हैं और सबके आने के मकसद भी अलग होते हैं। नाटक में रोचक मोड़ तब आता है जब गेस्ट हाउस में अचानक पुलिस इंस्पेक्टर रविन्द्र की इंट्री होती हैं। वह बताता है कि पिछली रात हुई महिला अनीता टंडन के कत्ल की तफ्तीश करने आया है।अनीता टंडन का खून सीरियल किलिंग का हिस्सा है और खूनी अभी दो और कत्ल करेगा। इंस्पेक्टर बताता है कि यह कत्ल बीस वर्ष पहले के एक केस से जुड़ा है। अनीता टंडन बीस साल पहले तीन बच्चों को एडॉप्ट करती है,पैसों के लालच में वह लोग बच्चों को बहुत टॉर्चर करते हैं जिससे दो बच्चों की मौत हो जाती है और एक बच्चा भाग जाता है। पुलिस इंस्पेक्टर यह सब बता ही रहा था कि उसी समय मिसेज आशा का कत्ल हो जाता है। इससे माहौल गरमा जाता है। गेस्ट हाउस में अब इंस्पेक्टर रविन्द्र की जांच पड़ताल में मेजर सुधांशु भी खोज बीन में लग जाते हैं। इसी कारण से इंस्पेक्टर रविन्द्र और मेजर सुधांशु के बीच टेंशन हो जाती है । मेजर को इंस्पेक्टर के ऊपर शक हो जाता है, इस बीच शंका होने पर मेजर सबको बाहर कर दिशा से बात करता है।बातों बातों में यह बात खुलकर सामने आ जाती है कि दो बच्चों का खून किसी और ने नहीं बल्कि पुलिस का चोला पहने रविन्द्र ने ही किया है। रविन्द्र और कोई नहीं दोनों बच्चों का बड़ा भाई बिट्टू है जो बीस साल बाद अपने मृत भाइयों का बदला लेने आता है। मिसेज आशा का कत्ल इसीलिए किया था क्योंकि बच्चों को अनीता टंडन को सौंपने का आर्डर मिसेज आशा ने दिया था। और दिशा जो गेस्ट हाउस की मालकिन थी बीस साल पहले बच्चों को पढ़ाती थी। बच्चों ने अपनी जान बचाने की गुहार लगाई थी किंतु उसने मदद नहीं की थी। बिट्टू जैसे ही दिशा को मारने के लिए बढ़ता तो कमरे में रूबी आ जाती है। बीच बचाव में चाकू रूबी को लग जाता है और उसकी मौत हो जाती है। नाटक का अंत बहुत मार्मिक होता है जो दर्शकों को भाव विभोर कर देता है।
दिशा की भूमिका में आकांक्षा पारुल, मिसेज आशा की भूमिका में डॉ रमा मॉन्ट्रोज, अविनाश की भूमिका में उत्तम कुमार बनर्जी, मेजर की भूमिका में आकाश अग्रवाल “चर्चित” ,डेविड की भूमिका में हर्ष राज, रूबी की भूमिका में चाहत जायसवाल, तनेजा की भूमिका में बृजेंद्र कुमार सिंह, रविन्द्र की भूमिका में शिवम् प्रताप सिंह के सशक्त अभिनय ने दर्शकों को नाटक से पूरे समय बांधे रखा। शोध एवं अनुवाद चित्तजित मित्रा,वस्त्र विन्यास आनंदिता चटर्जी,राशि पांडे,राखी, मंच सज्जा एवं प्रकाश परिकल्पना निखिल कुमार मौर्य,संगीत संयोजन प्रशांत वर्मा, रूप सज्जा मुस्कान वाधवानी, मीना मिश्रा , मंच सामग्री मिलिशा बनर्जी,रुपमा कुमारी, प्रस्तुति नियंत्रक आरिश जमील,शुभोजीत बोस,गरिमा बनर्जी, प्रकाश सहयोगी आरिज़ मोहम्मद,आबिद खान,पूर्वाभ्यास प्रबंधक सूरज शर्मा, पूर्वाभ्यास सहयोग अभिषेक गुप्ता,फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अमित शर्मा,कुलदीप कुमार, प्रस्तुति मार्गदर्शक आकाश अग्रवाल”चर्चित” थे। पुनर्कथन एवं निर्देशन सुदीपा मित्रा ने किया। कार्यक्रम में हर्षवर्धन बाजपेई ( विधायक), डॉ विभा मिश्रा (सहायक निदेशक लघु उद्योग एवं सूक्ष्म मंत्रालय भारत सरकार),श्री बादल चटर्जी ( पूर्व कमिश्नर प्रयागराज),अतुल यदुवंशी ( वरिष्ठ लोक नाट्य विद),अजामिल व्यास ( वरिष्ठ रंगकर्मी / चित्रकार), बांके बिहारी पांडे ( प्रधानाचार्य रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज प्रयागराज), प्रवीण शेखर ( वरिष्ठ नाट्य निर्देशक/ समीक्षक), विभु गुप्ता ( वरिष्ठ प्रेस फोटोग्राफर) ,श्री शैलेश श्रीवास्तव (वरिष्ठ नाट्य निर्देशक) उपस्थित थे।
अतिथियों का स्वागत प्रख्यात गायक मनोज गुप्ता ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापित संस्था के महासचिव जमील अहमद ने किया। मंच संचालन पूनम मिश्रा ने किया।
Anveshi India Bureau