Wednesday, July 9, 2025
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UP: झगड़े के बाद भाई फंदे पर झूला, बहन ने चाकू से काट लिया गला; पढ़ाई को लेकर छात्र को पड़ी थी डांट

कौशाम्बी में झगड़े के बाद भाई फंदे पर झूल गया। इसके बाद डांटने वाली बहन ने चाकू से अपना गला काट लिया। बहन ने भाई को पढ़ाई को लेकर डांट लगाई थी।

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के संदीपनघाट कोतवाली के कुरई गांव में मंगलवार सुबह पढ़ाई को लेकर बहन से झगड़ने के बाद किशोर ने मां की साड़ी से फंदा लगाकर जान दे दी। भाई की मौत की खबर सुनकर बहन ने चाकू से अपना गला काट लिया। गंभीर हालत में उसे प्रयागराज के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

कुरई गांव निवासी रामदेव मजदूरी कर परिवार का गुजारा करते हैं। मंगलवार सुबह वह मजदूरी करने चले गए। घर पर पत्नी और बच्चे थे। बेटा नितिन (15) स्कूल जाने की तैयारी कर ही रहा था कि एमए कर चुकी बहन विनीता ने उसे ठीक से पढ़ाई न करने को लेकर डांटा, जिस पर वह उससे झगड़ पड़ा।

नितिन काजीपुर स्थित विष्णु भगवान पब्लिक स्कूल में कक्षा नौ का छात्र था। चाचा देशराज के मुताबिक, बहन से विवाद के बाद वह स्कूल ड्रेस पहनकर बैग में मां की साड़ी रखकर साइकिल से स्कूल के लिए निकल गया।

रास्ते में मलाक मोहिउद्दीनपुर के समीप स्थित डिग्री कॉलेज के पीछे निर्माणाधीन मकान में मां की साड़ी का फंदा बनाकर लटक गया। आसपास काम कर रहे लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने घरवालों को बताया तो परिजन भी मौके पर पहुंच गए।

इधर, छोटे भाई की मौत की जानकारी मिलते ही बहन ने सब्जी काटने वाले चाकू से अपना गला काट लिया। गंभीर हालत में उसे इलाज के लिए प्रयागराज के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

किशोर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।-विजेंद्र सिंह, थानाध्यक्ष, संदीपनघाट

संवाद व सोशल सपोर्ट की कमी से उठाते हैं आत्मघाती कदम
मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान कौशाम्बी में हुई घटना के पीछे कई कारण मानते हैं। उनका मानना है कि अभिभावकों से संवाद व सोशल सपोर्ट की कमी के कारण बच्चे आत्मघाती कदम तक उठा लेते हैं।

पहले मोबाइल नहीं थे और परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे को समय देते थे। अगर कोई एक सदस्य कुछ कह देता था तो दूसरे सदस्य से मन की बात करने से गुस्सा शांत हो जाता था।

अब बच्चों का ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बीतता है। मना करने में आवेश में आ जाते हैं। अभिभावकों के पास भी बच्चों के लिए समय नहीं है। ऐसे में क्या सही और क्या गलत है, यह बताने वाला कोई नहीं। यही वजह है कि इस तरह के मामले बढ़ रहे हैं।
Courtsy amarujala.
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