Friday, October 25, 2024
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UP News : आईटीआई में 438 पदों पर अनियमित नियुक्ति, प्रमोशन भी किया, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

आईटीआई और सेवायोजन के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए 2003 में योजना बनी। प्रधानाचार्यों और क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारियों को तत्कालीन निदेशक डाॅ. गुरुदीप सिंह और अपर निदेशक दीपक कुमार ने भर्ती की अनुमति दे दी।

प्रदेश भर की औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) और सेवायोजन कार्यालयों में समूह ग और घ के 438 पदों पर हुई नियुक्ति को अनियमित बताकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। आरोप है कि अनियमित नियुक्ति के बाद प्रमोशन भी कर दिया गया है।

आईटीआई और सेवायोजन के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए 2003 में योजना बनी। प्रधानाचार्यों और क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारियों को तत्कालीन निदेशक डाॅ. गुरुदीप सिंह और अपर निदेशक दीपक कुमार ने भर्ती की अनुमति दे दी। 2003 से 2006 से प्रदेश भर में भर्ती हुई। अधिकतर आईटीआई और सेवायोजन कार्यालयों में बिना विज्ञापन निकाले और मानक के विपरीत अपने सगे संबंधियों की नियुक्ति कर कर ली गई।
हाईकोर्ट में 18 अक्तूबर को याचिका दाखिल करने वाले प्रतापगढ़ आईटीआई में तैनात वरिष्ठ लिपिक सुनील गुप्ता के मुताबिक, बरेली में बिना पद के ही 13 नियुक्ति कर ली गई। ऐसे ही लखीमपुर खीरी में तीन पदों के सापेक्ष 11 की नियुक्ति कर ली गई। मथुरा में दो पद के सापेक्ष चार, मिर्जापुर में दो पद के सापेक्ष तीन और प्रयागराज में एक पद के सापेक्ष तीन नियुक्ति की गई थी। 

वेतन पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपये

नियुक्ति करने का तरीका गजब था। पहले रिक्त पद के सापेक्ष भर्ती करते और एक महीने बाद उसका तबादला कर देते। फिर उसी पद पर दूसरे को नियुक्त कर लेते। ऐसे ही कई जिलों में एक- दो रिक्त पदों के सापेक्ष कई भर्तियां हुई। आरोप लग कि मामले में प्रधानाचार्य से लेकर निदेशक तक मिलीभगत थी। बाद में इसकी शिकायत हुई। उसके बाद तत्कालीन निदेशक हरिशंकर पांडेय ने मामले की जांच के लिए अपर निदेशक राहुल देव, वित्त नियंत्रक जेके पांडेय और वरिष्ठ शोध अधिकारी डीके प्रसाद की टीम बनाई।

तीनों अधिकारियों ने 166 पेज की जांच रिपोर्ट साैंपी। निदेशक हरिशंकर पांडेय ने 11 अगस्त 2010 को दोषियों के खिलाफ रिपोर्ट शासन को भेज दी। उन्होंने लिखा कि निदेशक डाॅ. गुरुदीप सिंह और अपर निदेशक दिलीप कुमार के साथ मिलकर 20 आईटीआई के प्रधानाचार्य व सेवायोजन अधिकारियों ने 438 लोगों की अनियमित नियुक्ति की है।

लिखा कि अवैध धन वसूली करके अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी गई है। इससे शासन को गंभीर वित्तीय क्षति पहुंच रही है। उन्होंने नियुक्ति निरस्त करने और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। लेकिन, अब तक कार्रवाई नहीं हुई। इन सभी के वेतन पर हर महीने करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं।

विभागीय जांच में इनपर लगे थे अनियमित नियुक्ति के आरोप
आईटीआई मेरठ के प्रधानाचार्य राजेंद्र प्रसाद, प्रयागराज के एसबी सिंह, बांदा के पीके शाक्यवार, सुल्तानपुर के डीके सिंह, मऊ के एम नसीमुद्दीन, मुरादाबाद के संजय किशोर, बरेली के अली हुजूर, नोएडा के वीपी सिंह, सहारनपुर के योगेंद्र सिंह, गोरखपुर के अरविंद कुमार, पीलीभीत के एमसी शर्मा, लखीमपुर खीरी के पीके शर्मा, सीतापुर के उमेश तनेजा, बस्ती के बीएस अग्निहोत्री, बरेली के एलआर मेहता, कानपुर के एके सिंह और बरेली के क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी आरएन सिंह और डीपी सिंह, आगरा के राजीव कुमार यादव, लखनऊ के पीके पुंडेर पर विभागीय जांच रिपोर्ट में अनियमित नियुक्ति करने के आरोप लगे थे।
Courtsy amarujala.com
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