कार्यक्रम की शुरुआत उच्च शिक्षा मंत्री ने सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल पर डॉ अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके मौन श्रद्धांजलि के साथ की। इसके बाद युवाओं के साथ संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया। साथ ही डॉ अंबेडकर के विचारों को उपस्थित जनसमूह के समक्ष रखा।
महान समाज सुधारक, चिंतक और न्यायप्रिय नेता थे अंबेडकर
उच्च शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि प्रकृति में आरंभ से ही सामाजिक समरसता और समता का भाव रहा है। डॉ अंबेडकर ने इस विचार को संविधान में मूलभूत अधिकारों और कर्तव्यों के माध्यम से सशक्त किया। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे संविधान के मूल्यों को आत्मसात करते हुए समावेशी समाज के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। भारत एक है और हमें समतामयी, ममतामयी समाज की स्थापना करनी है।
बाबा साहब के विचारों को घर-घर तक पहुंचाया जा रहा
मंत्री उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में ‘जय भीम पदयात्रा’ जैसे आयोजनों के माध्यम से बाबा साहब के विचारों को घर-घर तक पहुंचाया जा रहा है। यह पदयात्रा केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक जन-जागरण अभियान है, जो युवाओं को सामाजिक समता, बंधुत्व और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रेरित करती है।
यह राज्य स्तरीय पदयात्रा भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की संस्था MY Bharat (माय भारत) के तत्वावधान में नेहरू युवा केंद्र संगठन और राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। मार्ग में युवाओं ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाते हुए संविधान और सामाजिक न्याय के संदेश को जनमानस तक पहुंचाया।