यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, एम थ्री एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से एफआईआर व प्रवर्तन निदेशालय में दर्ज ईसीआईआर (एनफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा समेत इंडिया बुल्स फाइनेंस हाउसिंग लिमिटेड व अन्य फाइनेंस कंपनियों के पूर्व-वर्तमान पदाधिकारियों समेत 18 लोगों पर दर्ज करोड़ों की ठगी व मनी लॉन्ड्रिंग के मुकदमे को रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, एम थ्री एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से एफआईआर व प्रवर्तन निदेशालय में दर्ज ईसीआईआर (एनफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
मामला गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाना क्षेत्र का है। वैभव खंड स्थित शिप्रा एस्टेट कंपनी के निदेशक अमित वालिया ने इंडिया बुल्स के पूर्व चेयरमैन समीर गहलोत, वाइस चेयरमैन एवं एमडी गगन वांगा, अश्विनी ओमप्रकाश कुमार हुड्डा, राजीव गांधी, जितेश मीर, राकेश भगत, आशीष जैन, साकेत बहुगुणा के अलावा, थ्री एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर रूपकुमार बंसल, बसंत बंसल, पंकज बंसल, विवेक सिंघल, अनीता ठाकुर, सौरभ सुनील जैन, मनोज, रविंद्र सिंह, अजय शर्मा, राजेश चंद्रकांत शाह के खिलाफ करोड़ों की धोखाधड़ी, मारपीट, धमकी और षड्यंत्र रचने के आरोप में केस दर्ज कराया था।
आरोप लगाया कि इंडिया बुल्स कंपनी के डायरेक्टर उनके पास आए। कहा कि वह मार्केट से कम ब्याज दर पर 1939 करोड़ रुपये का लोन दे देंगे। इसके बदले में शिप्रा एस्टेट की छह हजार करोड़ की छह संपत्तियां गिरवी रखने की शर्त रखी गई। शर्त के बाद इंडिया बुल्स कंपनी के डायरेक्टर अपनी बात से मुकर गए। 1939 करोड़ की जगह 866 करोड़ 88 लाख 76 हजार रुपये ही खाते में डाले। इसमें से भी मोटी रकम खुद निकाल ली।