बच्ची के माता-पिता नौकरी पर गए थे, वह खेलते हुए सोमवार शाम छह बजे पार्क में पहुंची। बेंच के छेद में बच्ची अपनी दोनों हाथों की ऊंगलियां फंसा रही थी। कुछ देर में बच्ची के दोनों हाथों की एक-एक ऊंगली बेंच के छेद में फंस गई। खून का प्रवाह रुक गया। बच्ची की ऊंगली सूज गई और वह बेंच के छेद से नहीं निकल सकीं। बच्ची रोने लगी।
नोएडा के सेक्टर-53 के सेंट्रल पार्क में खेलने पहुंची आठ साल की अंशिका स्टील बेंच पर बैठी। खेल-खेल में दोनों हाथ बेंच पर रखे और बेंच में बने छेद में उंगलियां डाल दीं। थोड़ा दबाव देकर डाली गई ऊंगलियां फिर उन छेदों में फंस गईं। उंगली निकालने की नाकाम कोशिश के बाद बच्ची रोने लगी तो आस-पास के लोग जुटे। फिर जिसने देखा वो हैरान रह गया और बच्ची को रोता देख परेशान भी हुआ।
सूचना पर पहुंची पुलिस, फायर ब्रिगेड व सेक्टर के निवासियों ने बच्ची की उंगलियां निकलवाने को सारे प्रयास किए। लेकिन कामयाबी नहीं मिली। खून का संचार बंद होने से नीचे फंसी ऊंगलियों में सूजन आती जा रही थी। आखिर में कटर मंगवाकर बेंच का उतना हिस्सा काटा गया। कटी हुई बेंच का हिस्सा उंगलियों में फंसा हुआ लेकर पुलिस व परिजन जिला अस्पताल ले गए। फिर डॉक्टरों ने मशक्कत शुरू की आखिर में तकरीबन 5 घंटे बाद मासूम की दोनों उंगलियां बेंच में लगी स्टील के छेद से बाहर निकलीं।
Courtsy amarujala