बैलेस्टिक रिपोर्ट में मृतक नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव की राइफल से चली गोली का मिलान सीओ जिया उल हक की हथेली पर ब्लैकनिंग (गोली चलने से आया बारूद का निशान) से कराया गया तो पूरा घटनाक्रम साफ हो गया। इसके बाद सीबीआई ने दावा किया कि जब सीओ जिया उल हक ग्रामीणों को समझा-बुझा कर नन्हे यादव का शव लेने जा रहे थे, तभी उसके भाई सुरेश यादव ने कुछ ग्रामीणों के साथ पुलिस टीम पर हमला बोल दिया था।
प्रतापगढ़ के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को सीओ जियाउल की ग्रामीणों द्वारा हत्या किए जाने का राज जानने के लिए सीबीआई को लंबी मशक्कत करनी पड़ी थी। गांव में कभी चूड़ी तो कभी कुल्फी बेचने गए सीबीआई के अधिकारियों की सुरागरसी भी हत्या की असली वजह का पता लगाने में काम नहीं आई तो वैज्ञानिक जांच का सहारा लेना पड़ा। आखिरकार, सीबीआई को बैलेस्टिक रिपोर्ट ने सही राह दिखाई।
दरअसल, बैलेस्टिक रिपोर्ट में मृतक नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव की राइफल से चली गोली का मिलान सीओ जिया उल हक की हथेली पर ब्लैकनिंग (गोली चलने से आया बारूद का निशान) से कराया गया तो पूरा घटनाक्रम साफ हो गया। इसके बाद सीबीआई ने दावा किया कि जब सीओ जिया उल हक ग्रामीणों को समझा-बुझा कर नन्हे यादव का शव लेने जा रहे थे, तभी उसके भाई सुरेश यादव ने कुछ ग्रामीणों के साथ पुलिस टीम पर हमला बोल दिया था।
सुरेश यादव ने अपनी राइफल की बट से सीओ पर हमला किया, जिसे रोकने में ट्रिगर पर हाथ लगा और गोली चल गई। इससे सुरेश यादव मौके पर ही ढेर हो गया और सीओ के गनर समेत बाकी पुलिसकर्मियों के भाग जाने पर ग्रामीणों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया। नन्हे यादव के बेटे बबलू ने पिता और चाचा की मौत के बाद अपने कट्टे से सीओ को गोली मार दी।
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