Tuesday, December 24, 2024
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Zia Ul Haq Murder Case : बैलिस्टिक रिपोर्ट से खुला था राज, रामपुर के चर्चित सीओ ने फैलाया था भ्रम

बैलेस्टिक रिपोर्ट में मृतक नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव की राइफल से चली गोली का मिलान सीओ जिया उल हक की हथेली पर ब्लैकनिंग (गोली चलने से आया बारूद का निशान) से कराया गया तो पूरा घटनाक्रम साफ हो गया। इसके बाद सीबीआई ने दावा किया कि जब सीओ जिया उल हक ग्रामीणों को समझा-बुझा कर नन्हे यादव का शव लेने जा रहे थे, तभी उसके भाई सुरेश यादव ने कुछ ग्रामीणों के साथ पुलिस टीम पर हमला बोल दिया था।

प्रतापगढ़ के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को सीओ जियाउल की ग्रामीणों द्वारा हत्या किए जाने का राज जानने के लिए सीबीआई को लंबी मशक्कत करनी पड़ी थी। गांव में कभी चूड़ी तो कभी कुल्फी बेचने गए सीबीआई के अधिकारियों की सुरागरसी भी हत्या की असली वजह का पता लगाने में काम नहीं आई तो वैज्ञानिक जांच का सहारा लेना पड़ा। आखिरकार, सीबीआई को बैलेस्टिक रिपोर्ट ने सही राह दिखाई।

दरअसल, बैलेस्टिक रिपोर्ट में मृतक नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव की राइफल से चली गोली का मिलान सीओ जिया उल हक की हथेली पर ब्लैकनिंग (गोली चलने से आया बारूद का निशान) से कराया गया तो पूरा घटनाक्रम साफ हो गया। इसके बाद सीबीआई ने दावा किया कि जब सीओ जिया उल हक ग्रामीणों को समझा-बुझा कर नन्हे यादव का शव लेने जा रहे थे, तभी उसके भाई सुरेश यादव ने कुछ ग्रामीणों के साथ पुलिस टीम पर हमला बोल दिया था।

सुरेश यादव ने अपनी राइफल की बट से सीओ पर हमला किया, जिसे रोकने में ट्रिगर पर हाथ लगा और गोली चल गई। इससे सुरेश यादव मौके पर ही ढेर हो गया और सीओ के गनर समेत बाकी पुलिसकर्मियों के भाग जाने पर ग्रामीणों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया। नन्हे यादव के बेटे बबलू ने पिता और चाचा की मौत के बाद अपने कट्टे से सीओ को गोली मार दी।

 

Zia Ul Haq Murder Case: Ballistic report revealed the secret, Rampur's famous CO had spread confusion

रामपुर का चर्चित सीओ भी आया था रडार पर

इस प्रकरण में रामपुर में तैनात रहे एक चर्चित सीओ की भूमिका की भी सीबीआई ने पता लगाया था। दरअसल, जिया उल हक की हत्या के बाद एक काबीना मंत्री के करीबी सीओ ने रात में ही रामपुर से प्रतापगढ़ जाकर राजा भैया को घटना मास्टरमाइंड बताने का भ्रम फैलाया था। सीओ की इस हरकत से सीबीआई के अधिकारी भी हैरान रह गए थे। घटना के तुरंत बाद तत्कालीन एडीजी कानून-व्यवस्था अरुण कुमार ने भी प्रतापगढ़ जाकर राजा भैया की भूमिका की गहनता से पड़ताल करने का अधिकारियों को निर्देश दिया था।

Zia Ul Haq Murder Case: Ballistic report revealed the secret, Rampur's famous CO had spread confusion

सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री के पास जाकर दी थी सफाई
बता दें कि घटना की सूचना मिलते ही तत्कालीन सपा सरकार में मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास जाकर पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया था और इससे कोई वास्ता नहीं होने की बात कही थी। हालांकि बाद में उन्होंने खुद ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। सीबीआई, दिल्ली के एडिशनल एसपी एसएस गुरुम ने इस प्रकरण की जांच के दौरान राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह और गुलशन यादव से तीन दिन तक प्रतापगढ़ में पूछताछ की थी। बाद में राजा भैया ने अदालत से खुद नार्को टेस्ट कराने का अनुरोध किया था। दिल्ली में हुए नार्को टेस्ट में भी उनकी संलिप्तता का कोई खुलासा नहीं होने पर उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी।

 

 

 

Courtsy amarujala.com

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