साइबर अपराध जागरूकता कार्यशाला में विशेषज्ञ ने कहा कि जालसाज एआई तकनीक से नकली आवाज बना ले रहे हैं। मोबाइल पर ओटीपी आए तो उसे ठीक से पढ़ लें। इससे पता लग जाएगा कि ओटीपी आया क्यों है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर 50 सेकंड का वीडियो या ऑडियो अपलोड करना खतरनाक साबित हो सकता है। साइबर ठग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक की मदद से नकली आवाज बनाकर नाते-रिश्तेदारों से ही मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, 50 सेकंड से छोटी ऑडियो-वीडियो क्लिप हो तो ठगी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
अमर उजाला कार्यालय में सोमवार को साइबर हमले से बचाव को लेकर हुई कार्यशाला में साइबर सेल प्रभारी विनोद कुमार यादव, साइबर क्राइम अफसर जय प्रकाश सिंह, अनमोल सिंह और सूरज ने कहा कि साइबर जालसाज हर 15 दिन में ठगी का कोई नया तरीका ईजाद कर ले रहे हैं। लेकिन, कुछ बातों का ध्यान रखकर इनसे बचा जा सकता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बिंदु आपकी सजगता है। —-
ओटीपी का पूरा पढ़ें मैसेज
मोबाइल पर ओटीपी आए तो उसे ठीक से पढ़ लें। इससे पता लग जाएगा कि ओटीपी आया क्यों है। गलती तब होती है, जब बिना मैसेज पढ़े किसी को ओटीपी बता देते हैं। इससे ठग हजारों-लाखों रुपये का चूना लगा देते हैं।
मोबाइल गेम के लिए ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन हटाएं
बच्चे अक्सर मोबाइल फोन पर गेम खेलते हैं। इनमें कई गेम ऐसे होते हैं, जिनका ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है। बच्चे बिना बताए एटीएम या फिर क्रेडिट कार्ड से गेम को ऑनलाइन खरीद लेते हैं। इसमें एक बार ही ओटीपी की जरूरत होती है। फिर, बगैर ओटीपी के खाते से पैसा कटता रहता है। इस सेटिंग को तुरंत बदल दें।
चक्षु पोर्टल पर नंबर कराएं ब्लॉक
फोन पर बैंक केवाईसी, बिजली, गैस कनेक्शन, इंश्योरेंस पॉलिसी, ऑनलाइन नौकरी, लोन, ऑफर, गिफ्ट, लॉटरी या फर्जी कस्टमर केयर जैसे फोन बारंबार आते हों तो इनकी चक्षु पोर्टल पर शिकायत करके ब्लॉक करा सकते हैं।
ऐसे पता करें, आपके नाम से कितने सिम
अक्सर हमारे आधार कार्ड का दुरुपयोग करके कई सिम जारी करा लिए जाते हैं। इसका पता तब लगता है, जब इस सिम से कोई अपराध पकड़ा जाता है। आपके नाम से कितने सिम अलॉट हैं, इसे sancharsaathi.gov.in पर जाकर सिटीजन सेंट्रिक सर्विसेज पर क्लिक करने के बाद टैफकोप के विकल्प पर क्लिक करके जान सकते हैं।