पंजाब के कोट का पुरा से गीतानंद गिरि श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के नागा संन्यासी हैं। वह बताते हैं कि ढाई साल की उम्र में ही उन्होंने घर छोड़ दिया था। उसके बाद से वह जप-तप कर रहे हैं। संन्यासी बनने के बाद उन्होंने संस्कृत विद्यालय से 10 वीं तक की पढ़ाई की।
महाकुंभ से पहले संगम की रेती पर साधु-संतों की विहंगम रूप देखने को मिल रहा है। इसी तरह सवा लाख रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से मशहूर गीतानंद गिरि महाराज अपने सिर पर 45 किलो रुद्राक्ष की मालाओं का मुकुट धारण कर हर दिन 12 घंटे तपस्या कर रहे हैं। उन्होंने सवा लाख रुद्राक्ष की माला धारण करने का संकल्प लिया था। बाबा ने दावा किया कि मौजूदा समय में उनके सिर पर सवा दो लाख रुद्राक्ष हो गया है।
पंजाब के कोट का पुरा से गीतानंद गिरि श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के नागा संन्यासी हैं। वह बताते हैं कि ढाई साल की उम्र में ही वह घर छोड़ दिए थे। उसके बाद से वह जप-तप कर रहे हैं। वह संन्यासी बनने के बाद संस्कृत विद्यालय से 10 वीं तक की पढ़ाई की। गीतानंद गिरि महाराज ने बताया कि अर्द्ध कुंभ 2019 में वह संगम त्रिवेणी को साक्षी मानकर 12 साल के लिए सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था।
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