प्रयागराज। मंजू लता नागेश हमारे शहर की उभरती हुई युवा कवयित्री हैं। रचनाघर्म की शुरूआत में ही किताब का प्रकाशन होना बड़ी बात है। किताब की रचनाओं में विविधाएं हैं। कई बिम्बों और प्रतीकों पर इन्होंने कविता का सृजन किया है। कुंभ के अवसर इनकी किताब का विमोचन हो रहा है, शायद इसीलिए इस पुस्तक में कुंभ पर आधारित कविताएं भी शामिल की गई हैं। छोटी सी उम्र में ही किताब का आना बहुत ही सरहानीय कदम है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इनकी और अच्छी कविताओं की किताबें आएंगी। यह बात रविवार को साहित्यिक संस्था गुफ़्तगू की ओर से प्रधान डाकघर, सिविल लाइंस मे मंजू लता नागेश की पुस्तक ‘अस्तित्व की पहचान’ के विमोचन समारोह के दौरान डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कही।
गुफ़्तगू के अध्यक्ष डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि मंजू की कविताओं में विविधता है। हमारे समाज के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए इन्होंने कविताओं का सृजन किया है। आने वाले दिनों में इनसे और अच्छी कविताओं के सृजन की उम्मीद है।
गुफ़्तगू के सचिव नरेश कुमार महरानी ने कहा कि मंजू लता की कविताओं हमारे समाज से उपजी हुई सी प्रतीत होती हैं। इन्होंने से जिस चीज़ को जिस रूप में देखा है, उसी रूप में उल्लेखित किया है।विशिष्ट अतिथि मासूम रज़ा राशदी ने मंजू की कविताओं को आज का हासिल बतायां। कहा कि मंजू की कविताएं आज का सच बयान करती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि मंजू के पिता भी कवि थे। कविता लेखन इनको विरासत में मिला है। इनका लेखन आज के समय में बहुत ही सराहनीय है। कार्यक्रम का संचालन शैलेंद्र जय ने किया।
दूसरे दौर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। शिवाजी यादव, अफसर जमाल, आसिफ उस्मानी, जया मोहन, हरीश वर्मा, डॉ. पीयूष मिश्र पीयूष, सुशीला जायस, अमितेश सिंह नागेश, अनिमेश सिंह नागेश, डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, नरेश कुमार महरानी, डॉ. वीरेंद्र कुमार तिवारी और धंनजय चोपड़ा आदि ने रचनाएं प्रस्तुत की। राजेश कुमार वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
Anveshi India Bureau