Monday, December 30, 2024
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UP: यादवलैंड फतह करने के लिए पहली बार मुखर हुई भाजपा, मुलायम के नहीं रहने पर खत्म हुआ सियासी लिहाज

भाजपा ने मुलायम परिवार के मजबूत गढ़ रही सीटों पर अपना फोकस बढ़ा दिया है। 28 अप्रैल को गृहमंत्री अमित शाह भी इटावा में जनसभा करेंगे।

सपा के गढ़ यादवलैंड फतह के लिए भाजपा पहली बार मुखर नजर आ रही है। पार्टी ने इटावा- मैनपुरी पर फोकस बढ़ा दिया है। वह सियासी लिहाज खत्म कर आगे बढ़ने की रणनीति अपना रही है। इसके पीछे सियासी निहितार्थ हैं। क्योंकि मुलायम सिंह ने यहीं से सियासी सफर की शुरुआत की थी।

भाजपा जसवंत नगर से ही पूरे यादवलैंड में संदेश देने की तैयारी में है। यही वजह है कि पहले सैफई और मैनपुरी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव पहुंचते हैं। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जसवंत नगर में जनसभा करते हैं और 28 अप्रैल को गृहमंत्री अमित शाह भी इटावा में ही जनसभा करेंगे।

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल यादव जीतीं, लेकिन, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, फिरोजाबाद भाजपा के पास हैं। कन्नौज से अखिलेश यादव ने पर्चा दाखिल कर इस क्षेत्र के सियासी रण को रोचक बना दिया है। यही वजह है कि भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सैफई और मैनपुरी में अखिलेश का नाम लिए बिना परिवारवाद का आरोप लगाया और श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा उठाया था। इसके सियासी निहितार्थ हैं।

इन मुद्दों के जरिए उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि सपा प्रदेश के अन्य यादवों का ख्याल नहीं रख रही है। इसके जवाब में बुधवार को जसवंत नगर के ताखा में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जनसभा कर साफ किया कि वह सिर्फ और सिर्फ पीडीए के साथ हैं। हालांकि अगले दिन कन्नौज में मुलायम सिंह यादव के साथ ही जनेश्वर मिश्र, आजम खां और अमर सिंह को याद करते हुए इतिहास दोहराने का आह्वान किया। जिस वक्त वह कन्नौज में रिश्तों की दुहाई दे रहे थे, उसी वक्त सीएम योगी जसवंत नगर में सपा पर सवाल उठा रहे थे।

उन्होंने सवाल किया कि आखिर सपा ने प्रदेश के अन्य यादवों को टिकट क्यों नहीं दिया? उन्होंने यहां तक कहा कि प्रदेश के विकास में योगदान देने की वजह से मुलायम सिंह के निधन पर वह खुद श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। लेकिन, कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने में सपा ने परहेज किया। मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीकृष्ण का जिक्र करते हुए ब्रजभूमि के विकास और उससे करहल व जसवंत नगर को जोड़ने की दुहाई देकर साफ कर दिया है कि पार्टी किसी भी तरह का चूक नहीं होने देना चाहती है।

जसवंतनगर से जाता है बड़ा संदेश

जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र इटावा जिले में है, लेकिन लोकसभा क्षेत्र मैनपुरी में शामिल है। यहां से विधायक शिवपाल सिंह यादव हैं। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने जसवंत नगर से अपनी सियासी पहचान कायम की। यहां से वह आगे बढ़े तो आसपास के लोकसभा क्षेत्र पर भी प्रभाव जमाया। फिर यहां से शिवपाल लगातार विधायक बन रहे हैं।

भाजपा की अब तक की रणनीति से यह बात स्पष्ट हो गई है कि वह जसवंत नगर में जमीं तैयार कर मुलायम के किले को ढहाना चाहती है। पिछले चुनाव में मैनपुरी छोड़ अन्य सीटों पर कब्जा जमा लिया। इस बार वह मैनपुरी में भी सियासी लिहाज को दरकिनार करते हुए पूरी तरह से आक्रामक है। दूसरी बात यह है कि अखिलेश यादव ने पहले करहल और फिर कन्नौज हो की चुना है। इससे यह भी स्पष्ट है कि सैफई परिवार इस इलाके को अपनी सियासी नाभी के तौर पर देख रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार प्रभात रंजन दीन का तर्क है कि जब तक शिवपाल भाजपा के प्रति सॉफ्ट थे तो उसका फोकस जसवंत नगर पर नहीं था। अब वह सॉफ्ट कनेक्शन खत्म हो गया है। ऐसे में भाजपा ने जसवंत नगर को केंद्र बना दिया है।

Courtsyamarujala.com
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