पूर्व सांसद धनंजय सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत जरूर मिल गई है, लेकिन कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई है। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ धनंजय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। हालांकि फैसले के बाद 29 अप्रैल से जौनपुर में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का अपहरण कराने, रंगदारी मांगने, गालियां और धमकी देने के आरोपी जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की जमानत मंजूर कर ली है, लेकिन उनको ट्रायल में कोर्ट से मिली सात साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इससे पूर्व सांसद के राजनीतिक भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
हालांकि उनकी पत्नी को बसपा ने जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है। पूर्व सांसद धनंजय के अधिवक्ता कार्तिकेय सरन ने बताया कि जमानत के बावजूद धनंजय चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। क्योंकि हाईकोर्ट ने जमानत तो दी है लेकिन सजा पर रोक नहीं लगाई है। संभव है कि विशेष अदालत से मिली सजा के निलंबन को लेकर धनंजय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को दोनो पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद उनकी जमानत पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ कर रही थी। गौरतलब है कि अपहरण मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने जौनपुर की विशेष अदालत से मिली सात साल की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर अंतिम फैसला आने तक सजा पर रोक लगाए जाने और जमानत पर जेल से रिहा किए जाने के लिए हाईकोर्ट में मांग की थी।
जेल से बाहर आने के बाद दिलचस्प होगा मुकाबला