प्रयागराज। सामाजिक सरोकारों तथा यथार्थवादी लेखन के सिरमौर मुंशी प्रेमचन्द ने भारतीय महाद्वीप की संवेदनाओं को झकझोरने का काम किया है। उनकी कहानियों के किरदार साधारण और आमजन हैं, जिनकी समस्याओं और सरोकारों को बड़ी ही दक्षता से अपनी कहानियों और उपन्यासों में मुंशी जी ने शामिल किया है। प्रख्यात लोक कलाविद् श्री अतुल यदुवंशी के निर्देशकीय कौशल में स्वर्ग रंगमण्डल ने मुंशी प्रेमचन्द्र की महानकृति ‘बूढ़ी काकी’ का उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रेक्षागृह में संवेदनाओं को झकझोरने वाली प्रस्तुति आज दिनांक 10 जुलाई 2025 को मंचित की। गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर लोक कलाकारों का हुजूम अपने गुरू एवं मार्गदर्शक अतुल यदुवंशी को भावपूर्ण सम्मान प्रकट करने के लिये उमड़ा। इस अवसर पर रंगमंच, लोक कला एवं सामाजिक क्षेत्रों के वरिष्ठ पुरोधाओं को गुरू रत्न सम्मान प्रदान किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रखर राजनेता एवं शिक्षाविद् प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी तथा फूलपुर सांसद प्रवीण पटेल उपस्थित रहे।
नौटंकी बूढ़ी काकी की प्रस्तुति के मंत्रमुग्ध करते कथानक को नौटंकी की भावानुरूप लय, ताल, संगीत की स्वरलहरियों से जो गति मिली उससे प्रेक्षागृह में उपस्थित हर आंखें नम हो गई। अतुल यदुवंशी ने नौटंकी जैसी जीवन्त, रसवन्त और बेहद संप्रेषणशील शैली के पुनरूत्थान और उत्कर्ष में जो नए आयाम जोड़े हैं वो आने वाले समय में प्रेरणा के स्रोत के तौर पर जाने जाएंगे। मुंशी जी की कथाएं सामाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं खासकर उस वर्ग का जो कि सदैव उपेक्षित रहा और समय की मार सबसे ज्यादा झेली। बूढ़ी काकी की व्यथा-कथा हर किसी को सोचने को मजबूर कर देती है। बुद्धिराम के बड़े लड़के का तिलक आया है, घी और मसाले की क्षुधावर्धक सुगन्ध चारों ओर फैली हुई थी। बूढ़ी काकी को यह स्वाद निश्चित ही बेचैन कर रहा था और पूड़ियों का स्वाद स्मरण करके उसके हृदय में गुदगुदी होने लगती थी।
मेहमानों ने भोजन कर लिया, घर वालों ने भोजन कर लिया, बाजे-गाजे और वंचितों ने भी भोजन कर लिया लेकिन बूढ़ी काकी को किसी ने नहीं पूछा। देर रात जब बूढ़ी काकी को भूख लगी तो जूठे पत्तलों के पास बैठ गयी और जूठन खाने लगी। इस हृदय विदारक दृश्य और घटना सभी को स्तब्ध कर देने वाली थी।
इस नौटंकी में ‘स्वर्ग’ रंगमण्डल के कलाकार शिवानी कश्यप जिन्होंने बूढ़ी काकी की भूमिका को बेहतरीन तरीके से निभाया साथ ही रंगीली अनन्या मोहिले, रंगा की भूमिका में सचिन केसरवानी, रूपा की भूमिका में प्रिया मिश्रा, बुद्धिराम बने नीरज अग्रवाल एवं माया तिवारी आदि नेे अपनी अपनी भूमिका सशक्त तरीके से निभाई। संगीत पक्ष दिलीप कुमार गुलशन, राजेन्द्र कुमार एवं नगीना का रहा तथा संवेदनाओं को झकझोरते आलाप रोशन पाण्डेय एवं शिवम कुशवाहा ने लिये। इस अवसर पर प्रो० रीता बहुगुणा जोशी, सांसद प्रवीण पटेल एवं बृजेन्द्र प्रताप सिंह को फोक आर्ट एम्बेसडर सम्मान दिया गया।
साथ ही शरद द्विवेदी (पत्रकारिता), डॉ० मधु शुक्ला (शास्त्रीय गायन ), उर्मिला शर्मा (शास्त्रीय नृत्य), डॉ० उमा दीक्षित (लोक गायन), उदय चंद परदेसी (लोक कला), अभिलाष नारायण सहित अजामिल व्यास, रकेह वर्मा, ऋतंधारा मिश्रा, विनय श्रीवास्तव, ज़ुमर मुश्ताक़ आदि को नाट्य के लिए गुरु रत्न सम्मान प्रदान किया गया।
लोक कला में अपनी संस्कृति और विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निम्न को भी गुरु रत्न सम्मान प्रदान किया गया :
कमलेश चन्द्र यादव
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक
प्रयागराज
गुलाब चन्द्र मौर्य
ख्यातिप्राप्त लोक संगीतकार
प्रयागराज
अभयराज यादव
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक
प्रयागराज
शीतला प्रसाद शर्मा
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक
प्रतापगढ
सोमई राम विश्वकर्मा
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक
अमेठी
राम बरन यादव
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक
सुल्तानपुर
जटा शंकर
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक
भदोही
सुरेश कुमार यादव
ख्यातिप्राप्त कवि ं
वाराणसी
जमुना प्रसाद
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक एवं
मिर्जापुर
अशोक कुमार रसिया
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक
कौशाम्बी
देशराज पटारिया
ख्यातिप्राप्त बिरहा गायक
कौशाम्बी
स्वामीनाथ जोशी
ख्यातिप्राप्त भजन गायक एवं
रायबरेली
गोरखनाथ यादव
ख्यातिप्राप्त कवि एवं
आजमगढ़
Anveshi India Bureau