प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद गुंडा एक्ट के 3853 लंबित मामले पुलिस आयुक्त न्यायालय में पहुंचे। इनमें 2008 से लेकर 2022 तक यानी 14 साल तक के मामले शामिल हैं। इनमें से कई मामले उन वादकारियों से संबंधित हैं, जिनके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज था और आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वह अपने मुकदमे में पैरवी नहीं कर पा रहे थे।
गुंडा एक्ट कोर्ट में शनिवार को व्यापक स्तर पर कार्रवाई हुई। यहां आर्थिक रूप से कमजोर वादकारियों की पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो अधिवक्ता पेश हुए। जनहित में उन्होंने नि:शुल्क पैरवी की और इस दौरान एक दिन में कुल 712 वादों का निस्तारण कराया। इस दौरान गुंडा एक्ट कोर्ट में भी रिकाॅर्ड 14 घंटे तक सुनवाई हुई। सुबह आठ बजे से शुरू कार्रवाई लगातार रात 10 बजे तक चली।
जनपद में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद गुंडा एक्ट के 3853 लंबित मामले पुलिस आयुक्त न्यायालय में पहुंचे। इनमें 2008 से लेकर 2022 तक यानी 14 साल तक के मामले शामिल हैं। इनमें से कई मामले उन वादकारियों से संबंधित हैं, जिनके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज था और आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वह अपने मुकदमे में पैरवी नहीं कर पा रहे थे।
इसकी जानकारी होने पर सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता स्मिता दीक्षित व करन मल्होत्रा ऐसे वादकारियों की मदद के लिए आगे आए। निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए शनिवार को दोनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश हुए और संबंधित वादकारियों की नि:शुल्क पैरवी करते हुए कुल 712 मामले निस्तारित कराए। यानी इन मामलों में गुंडा एक्ट का नोटिस वापस लिया गया। उधर न्यायहित में पुलिस आयुक्त न्यायालय ने भी मैराथन सुनवाई की। कोर्ट सुबह आठ बजे से बैठ गई और फिर रात 10 बजे तक लगातार वादों की सुनवाई कर उन्हें निस्तारित किया।
निस्तारण से पहले जांच भी कराई
वादों का निस्तारण हाईकोर्ट के विभिन्न आदेश व हाल में ही जारी शासनादेश के अनुसार किया गया। इसमें अभियोजन अधिकारी आनंद कुवर गुप्त ने सालों से लंबित इन वादों में प्रभावी पैरवी की। साथ ही कोर्ट का ध्यान पूर्व में निर्गत आदेशों, शासनादेशों की ओर आकृष्ट कराया। इसके तहत जिन वादों में एक ही मुकदमे के आधार पर वर्षों पहले नोटिस जारी किया गया था, उनमें नोटिस वापस लेने की कार्यवाही की गई। इससे पूर्व संबंधित वादकारियों की ओर से कोई नया गंभीर अपराध कारित न किए जाने संबंधी जांच भी कराई गई।
लंबित वादों के निस्तारण को चल रहा अभियान
गुंडा एक्ट के 3800 से ज्यादा लंबित वादों के निस्तारण के लिए पुलिस आयुक्त न्यायालय की ओर से अभियान चलाकर इनके निस्तारण की कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए ही यह निर्णय भी लिया गया कि सप्ताह में दो की जगह पुलिस आयुक्त न्यायालय तीन दिन वादों की सुनवाई करेगा।
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