लूकरगंज स्थित सारस्वत सभागार में पोएट्री वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन एवं लोकरंजन प्रकाशन से क्रमशः प्रकाशित देह की देहरी लेखिका चित्रा विशाल श्रीवास्तव और सुर्ख गुलमोहर लेखिका डॉक्टर सुनीता त्रिपाठी की पुस्तक के विमोचन का कार्यक्रम रखा गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर प्रदीप चित्रांशी अध्यक्ष साहित्याञ्जलि प्रज्योदि, मुख्य अतिथि उमेश चंद्र श्रीवास्तव संपादक शहर समता, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय वरिष्ठ पत्रकार व प्रकाशक साहित्यांजलि प्रकाशन, एवं प्रोफेसर डाक्टर रवि मिश्र ने की। सर्वप्रथम अतिथियों ने माँ वीणापाणि के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन और शंखनाद किया। मिली श्रीवास्तव ने माँ सरस्वती की वंदना करके कार्यक्रम को औपचारिक शुरुआत दी।
देह की देहरी पर लेखिका ने अपना विमर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने अध्यात्म प्रेम पर कृष्ण और गोपिकाओं का चित्र उपस्थित किया। वहीं सुर्ख गुलमोहर पर डाक्टर सुनीता त्रिपाठी ने प्रकाश डालते हुए अपने बाबा के संस्मरण को याद किया।
प्रोफेसर डाक्टर रवि मिश्र ने रचनाकारों और उनकी कृतियों का सामाजिक पहलू उद्धरणों के द्वारा उजागर किया।
डाॅक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय ने भी युग परिवर्तन के रूप पुस्तक चर्चा की। उन्होंने कहा आज खूब साहित्य रचा जा है, परन्तु खरीदकर पढ़ने वालों की कमी है।
मुख्य अतिथि उमेश श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेम की परिभाषा अपरिमित है। उन्होंने कबीर के उद्धरण से इसे सिद्ध किया। उन्होंने दोनों पुस्तकों के प्रेमांश की चर्चा की।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅक्टर प्रदीप चित्रांशी ने कहा कि दोनों पुस्तकें पठनीय हैं। उन्होंने सभी कवियों को बधाई दी।
कार्यक्रम का संचालन प्रकाशक रंजन पांडेय ने किया।
दूसरे सत्र में काव्य पाठ का आयोजन किया गया। इसमें योगेन्द्र मिश्र विश्वबंधु, शम्भुनाथ श्रीवास्तव, पंडित राकेश मालवीय मुस्कान, डाक्टर रामलखन चौरसिया, केशव प्रकाश सक्सेना, निखिलेश मालवीय, डाक्टर इंदु जौनपुरी, जयश्री श्रीवास्तव, राघवेन्द्र बहादुर सरल, राधा शुक्ला, देवी प्रसाद पाण्डेय, डाक्टर अरविंद कुमार मिश्र, फरमूद इलाहाबादी, सेलाल इलाहाबादी, सीमा, आर वी पथिक, एच एन पाण्डेय अंजान, रश्मि चतुर्वेदी, अंकिता चतुर्वेदी, अजय वर्मा साथी, राहुल पवार, अशोक श्रीवास्तव कुमुद, प्रभंजन त्रिपाठी, ऋजु पाण्डेय, जे यस सत्यम, प्रकाश सिंह अश्क, अभिनव चतुर्वेदी आदि ने काव्य पाठ किया। इस सत्र का संचालन पंडित राकेश मालवीय मुस्कान ने किया।
Anveshi India Bureau