Thursday, November 21, 2024
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Assam: सीएम सरमा ने दोहराया बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का संकल्प; हर छह महीने पर चलेगा विशेष अभियान

असम में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा ने हर छह महीने में एक विशेष अभियान चलाने का ऐलान किया है। इसके लिए उन्होंने डीजीपी को जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए हैं।

बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विशेष अभियान चलाने की घोषण की। इस अभियान के तहत हर छह महीने में विशेष अभियान चलाया जाएगा। दरअसल बुधवार को एक एनजीओ की रिपोर्ट जारी की। जिसमें कहा गया है कि बाल विवाह के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई से ऐसे मामलों की संख्या में कमी आई है।

इसके बाद सीएम ने बुधवार शाम को एक वीडियो संदेश जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा, “बाल विवाह के खिलाफ हमारा अभियान और सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। हर छह महीने में एक विशेष अभियान चलाया जाएगा और डीजीपी को इस साल नवंबर-दिसंबर में बाल विवाह पर अगली कार्रवाई के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।” उन्होंने कहा कि शुरुआत में कुछ लोग “बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई से खुश नहीं थे, लेकिन अब लोग अल्पसंख्यक क्षेत्रों में भी इस सामाजिक बुराई को रोक रहे हैं।” सीएम सरमा ने कहा कि भारत बाल संरक्षण (आईसीपी) रिपोर्ट के आंकड़े “नारी शक्ति को सशक्त बनाने में हमारे निरंतर प्रयासों का प्रमाण हैं।” बता दें बाल विवाह मुक्त भारत, जिसका आईसीपी एक हिस्सा है, 2022 में शुरू किया गया एक राष्ट्रव्यापी अभियान है और देश भर में इसके लगभग 200 एनजीओ भागीदार काम कर रहे हैं।

सीएम सरमा ने एक्स से कहा, “@IndiaCPOrg की यह असाधारण रिपोर्ट नारी शक्ति को सशक्त बनाने के हमारे निरंतर प्रयासों का शानदार प्रमाण है। 3,000 से अधिक गिरफ्तारियों और हमारे शून्य-सहिष्णुता दृष्टिकोण के कारण 2021 से बाल विवाह में 81 प्रतिशत की गिरावट आई है। हम तब तक आराम नहीं करेंगे, जब तक हम इस सामाजिक बुराई को खत्म नहीं कर देते।” असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इस साल के अंत में बाल विवाह पर अगले दौर की कार्रवाई के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।
क्या कहती है रिपोर्ट? 
रिपोर्ट, ‘न्याय की ओर: बाल विवाह को समाप्त करना’, बुधवार को नई दिल्ली में विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर जारी की गई। इसमें कहा गया है कि 2021-22 और 2023-24 के बीच असम के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ऐसे मामलों में कानूनी हस्तक्षेप पर जोर दिया जाना इसका कारण है। सरमा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कानूनी साधनों के साथ-साथ जागरूकता अभियानों के माध्यम से फरवरी 2022 से पूरे राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की थी।

सर्वेक्षण में यह तथ्य आए सामने

वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों और राज्य के 20 जिलों के 1,132 गांवों में सर्वेक्षण हुआ। इसके अनुसार 30 प्रतिशत क्षेत्रों में बाल विवाह का पूर्ण उन्मूलन हुआ है, जबकि 40 प्रतिशत में सामाजिक बुराई की एक बार प्रचलित प्रथा में काफी गिरावट देखी गई है। बता दें कि सर्वेक्षण किए गए गांवों की कुल आबादी 21 लाख है, जिसमें आठ लाख बच्चे हैं। रिपोर्ट के अुनसार “20 जिलों में से 12 जिलों में, 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि बाल विवाह से संबंधित मामलों में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और एफआईआर दर्ज करने जैसी कानूनी कार्रवाई करने से ऐसे मामलों की घटना को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है।”

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने की असम मॉडल की प्रशंसा

वहीं रिपोर्ट जारी करते समय मौजूद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, “बच्चों के खिलाफ इस अपराध को समाप्त करने के लिए अभियोजन निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, और बाल विवाह को समाप्त करने के असम मॉडल ने देश को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है।” आयोग अपने रुख पर बेहद स्पष्ट है कि धर्म की आड़ में किसी भी बच्चे का विवाह नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पॉक्सो और पीसीएमए दोनों कानून धर्मनिरपेक्ष कानून हैं और सभी व्यक्तिगत कानूनों से ऊपर हैं। वहीं बाल अधिकार कार्यकर्ता और बाल विवाह मुक्त भारत के संस्थापक भुवन रिभु ने कहा कि बाल विवाह को रोकने के लिए असम का कानूनी कार्रवाई पर जोर सबसे अच्छा जन जागरूकता संदेश है। रिभु ने कहा, “आज असम में अधिकांश लोग मानते हैं कि बाल विवाह को समाप्त करने के लिए अभियोजन महत्वपूर्ण है। यह संदेश असम से जाना चाहिए और पूरे देश में फैलना चाहिए ताकि बाल विवाह मुक्त भारत बनाया जा सके।”
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