मामले की जानकारी के बाद ग्रामीणों में शोक की लहर दौड़ गई। बाद में ग्रामीण सुरेंद्र शर्मा के शव को लेकर धरना स्थल पर पहुंच गए। सूचना पर तहसीलदार व एसडीएम भी पहुंचे हैं।
कूबी आंदोलन को लंबा समय हो चुका है। मध्य गंगा नहर के लिए अधिग्रहित हुई जमीन के चार गुना मुआवजे की मांग को लेकर रविवार को धरने पर बैठे किसान सुरेंद्र शर्मा (45) की हार्ट अटैक से मौत हो गई। धरने के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी थी। अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। जिससे ग्रामीणों में शोक की लहर दौड़ गई। बाद में ग्रामीण सुरेंद्र शर्मा के शव को लेकर धरना स्थल पर पहुंच गए। सूचना पर तहसीलदार व एसडीएम भी पहुंचे। ग्रामीणों ने मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की। शाम चार बजे तक किसान शव के साथ ही धरना स्थल पर डटे हुए हैं। वह एडीएम को मौके पर बुलाने और आर्थिक मदद की मांग पर अड़े हैं।
बता दें कि साल 2011 में रामपुर घना, मोहनपुर एवं घंसूरपुर तथा साल 2012 में गांव कूबी में मध्य गंगा नहर के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण की गई थी। जिसके बाद किसानों को सर्किल रेट के तहत चार गुना मुआवजा दिया जाना था। सरकार किसानों को 2011 के रेट के अनुसार मुआवजा दे रही है, जबकि किसान सर्किल रेट के चार गुने मुआवजे की मांग पर डटे हुए हैं। इसी मांग को लेकर किसान फरवरी माह से लगातार धरना दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनको उचित मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तब तक वह जमीन की खोदाई नहीं होने देंगे। वहीं मध्य गंगा नहर में पानी छोड़े जाने के बाद किसानों की बेचैनी बढ़ गई है। इस आंदोलन में पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी लगातार शामिल हो रही हैं। किसानों का कहना है कि प्रशासन 2011 के तहत मात्र 50 हजार रुपये ही मुआवजा देना चाहता है। जोकि, उनके साथ सरासर धोखा है। वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी ग्रामीणों की मांगे मुख्यमंत्री तक पहुंचाईं, लेकिन ग्रामीणों को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल सका है। बता दें कि रविवार को धरने का 529 वां दिन था।
महिलाओं ने धरना स्थल पर ही मनाए थे त्योहार
कूबी आंदोनल को लेकर गत वर्ष महिलाएं भी मुखर हो गई थीं। उनकी ओर से भी लगातार अनशन जारी रखा गया। यही नहीं धरना स्थल पर नवरात्र, दशहरा, करवा चौथ, दिवाली, भैयादूज आदि त्योहार धरना स्थल पर ही मनाए थे।
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