याचीगणों पर निलंबन आदेश में यह आरोप था कि इन्होंने अपने से जुड़े लोगों को कहा कि अगर किसी मामले में कथित न्याय नहीं मिल रहा है, तो वे मुख्यमंत्री के यहां जाकर धरना, प्रदर्शन और आत्मदाह करें। यह भी कहा कि ऐसा लिखकर प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी या पुलिस अधीक्षक को दें, जिससे जिला स्तर से ही काम हो जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बगैर नियमित विभागीय कार्यवाही के पुलिस कर्मचारियों को निलंबित करना गलत है। कोर्ट ने इसी के साथ दरोगा व हेड कांस्टेबल के निलंबन को गलत मानते हुए आदेश रद्द कर याचिका मंजूर कर लिया है।
याचीगणों पर निलंबन आदेश में यह आरोप था कि इन्होंने अपने से जुड़े लोगों को कहा कि अगर किसी मामले में कथित न्याय नहीं मिल रहा है, तो वे मुख्यमंत्री के यहां जाकर धरना, प्रदर्शन और आत्मदाह करें। यह भी कहा कि ऐसा लिखकर प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी या पुलिस अधीक्षक को दें, जिससे जिला स्तर से ही काम हो जाएगा।
इस निलंबन आदेश दिनांक 24 जनवरी 2024 के विरूद्ध याचीगण ने अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कीं। याचिका में कहा गया है कि याचीगण के ऊपर निलंबन आदेश में जो आरोप लगाये गए हैं वह बिल्कुल निराधार एवं असत्य हैं।
याची पुलिस कर्मियों के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम ने कोर्ट को बताया कि निलंबन आदेश जारी करने के बाद पुलिस अधीक्षक (क्षेत्रीय) विशेष शाखा अभिसूचना विभाग उत्तर प्रदेश के आदेश दिनांक 29 जनवरी 2024 के तहत मंडलाधिकारी अभिसूचना विभाग उत्तर प्रदेश कानपुर को प्रारंभिक जांच आवंटित की गई तथा मंडलाधिकारी अभिसूचना विभाग उत्तर प्रदेश कानपुर नगर ने याचीगणों को इस प्रकरण में अपना अभिकथन प्रारंभिक जांच में अंकित कराने के लिए दिनांक 13 फरवरी 2024 को निर्देशित किया।