अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध का भारत पर क्या असर हो सकता है? इससे पूरी दुनिया किस तरह प्रभावित हो सकती है? खुद अमेरिका पर कैसे इन टैरिफ का असर होने की संभावना है? आइये जानते हैं…
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेजी पकड़ चुका है। अपने पहले कार्यकाल (2016-20) में चीन पर 20 फीसदी टैरिफ का एलान करने वाले ट्रंप ने इस बार सत्ता में आने के बाद 2 अप्रैल को ड्रैगन पर फिर 34 फीसदी आयात शुल्क लगाने का एलान कर दिया। इस तरह से अमेरिका की तरफ से चीन पर कुल 54 फीसदी जवाबी टैरिफ लगाया जा चुका है। इसके जवाब में जब चीन ने अमेरिका के खिलाफ भी पलटवार करते हुए समान आयात शुल्क लगाया तो ट्रंप ने चीन से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ को 50 फीसदी तक बढ़ा दिया। यानी अब अमेरिका की तरफ से चीन पर कुल 104 फीसदी टैरिफ लगाया जा रहा है।
अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी इस जंग को लेकर दुनियाभर में चिंता जाहिर की गई है। दरअसल, पूरी दुनिया की सप्लाई चेन में चीन की अहम भूमिका रही है। ऐसे में अमेरिका की तरफ से बेतहाशा टैरिफ लगाने का एलान भारत पर भी असर डाल सकता है। यह जानना अहम है कि आखिर अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध का भारत पर क्या असर हो सकता है? इससे पूरी दुनिया किस तरह प्रभावित हो सकती है? खुद अमेरिका पर कैसे इन टैरिफ का असर होने की संभावना है? आइये जानते हैं…
अमेरिका-चीन के व्यापार युद्ध का भारत पर क्या असर हो सकता है?
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध का असर भारत पर भी पड़ने के आसार हैं। इसका असर सकरात्मक और नकारात्मक दोनों स्तर पर हो सकता है।
कहां हो सकता है नुकसान?
भारत की तरफ से अमेरिका से ऐसी कई चीजें आयात की जाती हैं, जिनमें चीन का अहम योगदान होता है। उदाहरण के तौर पर विमान, इनके इंजन, आभूषण-रत्न, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, ऑटो क्षेत्र से जुड़े पार्ट्स, आदि। इन सभी उत्पादों के निर्माण के लिए अमेरिका बड़े स्तर पर चीन पर निर्भर है, क्योंकि ऑटो में लगने वाले पार्ट्स से लेकर विमानों के इंजन में लगने वाले हिस्सों तक अमेरिका इनके लिए महत्वपूर्ण और दुर्लभ खनिजों (लिथियम, स्कैंडियम, आदि का आयात चीन से ही करता है। चीन ने भी दुनियाभर में इसकी सप्लाई चेन पर पूरी तरह कब्जा किया है। उदाहरण के तौर पर दुनियाभर में कारों, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, विमानों और अन्य चीजों में इस्तेमाल होने वाले लिथियम का दुनियाभर में 80 फीसदी निर्यात सिर्फ चीन से ही होता है।
ऐसे में आयात शुल्क लगाए जाने की वजह से चीन से आने वाले कई उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इसका असर भारत समेत सीधे उन देशों पर पड़ेगा, जो अमेरिका से चीन के कल-पुर्जों के जरिए तैयार अंतिम उत्पाद आयात करते हैं। इन सभी चीजों की कीमतें आने वाले समय में महंगी हो सकती है। इतना ही नहीं, अमेरिका-चीन के व्यापार युद्ध से इनकी आपूर्ति में लंबे समय के लिए बाधा भी पैदा हो सकती है।
कहां हो सकता है फायदा?
- अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध का भारत को फायदा भी होने की संभावना भी है। केडिया सिक्योरिटीज के निदेशक और रिसर्च हेड अजय केडिया के मुताबिक, अमेरिका ने भारत पर 27 फीसदी की दर से टैरिफ लगाया है।
- दूसरी तरफ चीन पर अब टैरिफ की दर 54 फीसदी (34 अभी और 20 फीसदी का एलान पहले हुआ) के ऊपर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया गया है। यानी कुल 104 फीसदी आयात शुल्क।
- इसका सीधा मतलब है कि चीन से भेजे जाने वाले कई उत्पाद-जरूरत के सामान जहां अमेरिकी नागरिकों के लिए दोगुने महंगे हो गए होंगे, वहीं भारत के उत्पाद चीन के मुकाबले करीब 75% तक सस्ते होंगे।
एक लिहाज से देखा जाए तो चीन ही नहीं भारत की स्थिति अन्य एशियाई देशों (बांग्लादेश, इंडोनेशिया, आदि) में काफी बेहतर है। ऐसे में टैरिफ लगने के बावजूद भारत की प्रतियोगी क्षमता अमेरिकी बाजार में बेहतर होगी। इससे भारत के निर्यात में बड़ा असर आने की संभावना कम है।
उदाहरण के तौर पर अगर अमेरिका ने भारत से आयात किए गए चावल पर 27 फीसदी टैरिफ लगाया तो पहले 100 रुपये में भारतीय चावल पा रहे लोगों को अब आयात शुल्क के साथ 127 रुपये में चावल मिलेगा। हालांकि, चीन के मामले में यह टैरिफ कम से कम 84 फीसदी (2 अप्रैल के 34%+9 अप्रैल के 50%) और अधिकतम 104 फीसदी तक रह सकता है। यानी चीन के चावल की कीमत अमेरिका में 184 से 204 रुपये तक पहुंच सकती है, जो कि भारत के चावल के मुकाबले काफी ज्यादा है। कुछ यही स्थिति बांग्लादेश, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका के मामले में भी होगा। यानी निर्यातक देशों में भारत की स्थिति सबसे बेहतर रहेगी।

दुनिया पर क्या रहेगा अमेरिका-चीन के व्यापार युद्ध का असर?
1. चीन पर
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस व्यापार युद्ध का असर चीन की जीडीपी पर पड़ने के आसार हैं। इसकी वजह यह है कि चीन अब तक अमेरिका का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है। हालांकि, उसके उत्पादों के लिए अगर अमेरिकी नागरिकों और कंपनियों को 104 फीसदी टैरिफ चुकाने की नौबत आती है तो यह महंगा सौदा हो सकता है। माना जा रहा है कि इस बढ़े हुए आयात शुल्क की वजह से कई अमेरिकी कंपनियां अपनी उत्पादक इकाईयों को चीन से हटाकर किसी और कम टैरिफ वाले देश या सीधे अमेरिका वापस ला सकती हैं। इतना ही नहीं, वह चीन से आयात होने वाले जरूरत के खनिजों और उत्पादों के लिए भी विकल्प तलाशना शुरू कर सकती हैं।इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर सीधे तौर पर पड़ेगा। अगर अमेरिकी कंपनियां अपना व्यापार चीन से हटाती हैं और उत्पाद इकाईयां बंद होती हैं तो इससे चीन को नौकरियों का नुकसान झेलना पड़ सकता है। इतना ही नहीं उसका निर्यात बुरी तरह से गिर सकता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी। चीन को इसके चलते मंदी का समाना भी करना पड़ सकता है। गोल्डमैन सैक्स और बीएनपी पैरिबास के मुताबिक, चीन की जीडीपी विकास दर 2025 में 2.4 फीसदी तक गिर सकती है।
2. अमेरिका पर
व्यापार युद्ध का असर अमेरिका को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा। अजय केडिया ने अमर उजाला को बताया था कि अमेरिका में मौजूदा समय में महंगाई दर 2.8 फीसदी के करीब है, लेकिन चूंकि अमेरिका के कई क्षेत्र आयात पर निर्भर हैं। जैसे अपैरल, ऑटोमोबाइल के लिए वह चीन, बांग्लादेश व अन्य देशों पर निर्भर है। ऐसे में अब आयात शुल्क बढ़ाकर अमेरिका कई अहम चीजों पर को खुद ही महंगा कर लेगा। इससे वहां महंगाई बढ़ने की संभावना है। बताया जा रहा है कि अमेरिका में इस फैसले के बाद महंगाई दर 4.5 फीसदी तक पहुंच सकती है।इसका असर यह होगा कि अमेरिका में जो ब्याज दरें घटाने की बात चल रही थी, उसकी संभावना एक बार फिर कम हो जाएगी। चूंकि ब्याज दर कम नहीं होगी, इसलिए लोगों के हाथ में पैसा भी कम रहेगा, खर्च करने की प्रवृत्ति कम होगी। इससे अमेरिका की आर्थिक रफ्तार धीमी हो जाएगी, जिससे मंदी का खतरा बढ़ सकता है। हम पहले सोच रहे थे कि यह खतरा 15-20 फीसदी है। अब वह 30-40 फीसदी तक पहुंच सकता है। इसके अलावा जो कंपनियां पहले अपने लाभ से कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए रोजगार पैदा कर रही थीं, अब उन्हें अपने लाभ को टैरिफ चुकाने में खर्च करना होगा। इससे आने वाले दिनों में नौकरियों में कटौती हो सकती है।