Sunday, November 10, 2024
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अतीक की बेनामी संपत्ति मामले में बड़ा खुलासा: माफिया के गुर्गों का खेल, मिलते-जुलते नाम के दो ‘हूबलाल’ खोजे

बेनामी संपत्ति बनाने को मिलते-जुलते नाम के दो लोगों के नाम माफिया ने संपत्ति बनाई है।करेली निवासी दो सगे भाइयों समेत चार के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई है।अतरसुइया में दो दिन पहले जावेद व उसके भाई कामरान, फराज सभी निवासी करेली समेत चार के खिलाफ बंधक बनाकर मारपीट समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई।

माफिया अतीक की बेनामी संपत्ति को बनाने के लिए उसके गुर्गों ने गजब प्लानिंग की। मिलते-जुलते नाम के दो ‘हूबलाल’ खोज लिए और दिहाड़ी पर काम करने वाले इन लोगों के नाम करोड़ों की संपत्ति बना ली। वादी का आरोप है कि ऐसा इसलिए किया कि कभी एक उनके खिलाफ जाएं तो दूसरे के जरिये संपत्तियों को अपने नाम करा ले। फिलहाल, पुलिस दोनों से पूछताछ में जुटी है।

अतरसुइया में दो दिन पहले जावेद व उसके भाई कामरान, फराज सभी निवासी करेली समेत चार के खिलाफ बंधक बनाकर मारपीट समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। वादी श्याम जी सरोज निवासी करोली, नवाबगंज का आरोप है कि आरोपी अतीक-अशरफ के करीबी हैं। उनकी बेनामी संपत्ति के लिए ही उन्होंने उसके नाम पर जबरन डरा-धमकाकर जमीनों की रजिस्ट्री कराई। यही नहीं, माफिया भाइयों की मौत के बाद उक्त जमीनें अपने नाम लिखने का दबाव डाला। साथ ही मारपीट कर जान से मारने को धमकाया।

सूत्रों के मुताबिक प्रकरण की जांच में जुटी अतरसुइया पुलिस को एक और चौंकाने वाली बात पता चली है। यह सामने आया है कि आरोपियों ने बेनामी संपत्ति के इस खेल के लिए मिलते-जुलते नाम के दो व्यक्तियों का इस्तेमाल किया। इनमें से एक सफाईकर्मी तो दूसरा श्यामजीत पुत्र भोरीलाल भी दिहाड़ी मजदूर है। महेवा पश्चिमपट्टी नैनी निवासी इस के नाम से भी जमीन की रजिस्ट्री कराई गई। फिलहाल,इसके नाम पर सरायइनायत में एक जमीन संबंधी दस्तावेज पुलिस के हाथ लगे हैं। अफसरों का कहना है कि इसकी भी पड़ताल कराई जाएगी। दूसरे श्यामजी का भी बयान दर्ज किया जाएगा।

प्लान बी के तहत खोजा दूसरा व्यक्ति

पुलिस सूत्रों के मुताबिक वादी का आरोप है कि आरोपियों ने एक ही नाम के दो व्यक्तियों को खुद के बनाए प्लान बी के तहत खोजा। पहले उन्होंने अपने घर में सफाईकर्मी के नाम पर जमीनें खरीदीं। बाद में उन्हें लगा कि यह पलट भी सकता है। ऐसे में उन्होंने इसी नाम के एक और व्यक्ति को खोजा, ताकि जरूरत पड़ने पर जमीनें अपने नाम लिखवाने के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सके।

यह है पूरा मामला

अतीक-अशरफ की बेनामी संपत्तियों के लिए आठ हजार महीने कमाने वाले सफाईकर्मी श्यामजी सरोज के नाम आठ करोड़ की जमीनें लिखवाई गईं। फिलहाल नैनी, फूलपुर व हंडिया तहसील में उसके नाम पांच जमीनें होने का पता चला है।

वादी से पूछताछ में पता चला है कि अभियुक्तों ने उसके ही नाम के एक और व्यक्ति के नाम पर जमीनें लिखवाईं। उससे पूछताछ की जा रही है। फिलहाल उसके नाम पर एक जमीन की बात सामने आई है। जांच-पड़ताल की जा रही है। – दीपक भूकर, डीसीपी नगर

पत्नी ने पति-देवर को बताया बेगुनाह

जावेद की पत्नी रेहाना जावेद ने पति-देवर को बेगुनाह बताते हुए पुलिस आयुक्त को शिकायती पत्र दिया है। आरोप लगाया है कि श्याम जी व एक अन्य के साथ मिलकर उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। 10 अप्रैल को श्यामजी की शिकायत पर उसके कर्मचारी अश्फाक व श्यामजीत को पुलिस पकड़कर ले गई। डीसीपी नगर दीपक भूकर का कहना है कि शिकायती पत्र पर जांच कराई जा रही।

माफिया अतीक की 12.42 करोड़ की बेनामी संपत्ति का मामला अब गैंगस्टर कोर्ट में 

माफिया अतीक अहमद की 12.42 करोड़ की बेनामी संपत्ति का मामला गैंगस्टर कोर्ट में भेज दिया गया है। चार महीने में भी अपील न किए जाने पर पुलिस आयुक्त न्यायालय की ओर से यह कार्रवाई की गई है। अब गैंगस्टर कोर्ट इस संपत्ति के संबंध में सुनवाई करके आगे निर्णय लेगी।पुलिस आयुक्त न्यायालय के आदेश पर गौसपुर कटहुला में स्थित इस बेशकीमती जमीन को पिछले साल छह नवंबर को गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्क किया गया था। नियमानुसार तय अवधि में इस कार्रवाई के खिलाफ अपील की जा सकती थी। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ।

छह महीने बीतने के बाद भी संपत्ति के संबंध में कोई अपील नहीं की गई। उधर, जिस हूबलाल के नाम यह संपत्ति बनाई गई थी, उसने पुलिस आयुक्त न्यायालय के समक्ष यह लिखित में दिया कि उसे डरा-धमकाकर अतीक अहमद ने इसे उसके नाम पर लिखवाई थी। यह अपराध से अर्जित संपत्ति है, जिस पर उसका कोई हक नहीं है। पुलिस आयुक्त न्यायालय ने तय अवधि बीतने के बाद भी कोई अपील न किए जाने पर इस मामले को गैंगस्टर कोर्ट में भेज दिया है। अब गैंगस्टर कोर्ट इस संबंध में विधिक कार्रवाई करेगी।

200 रुपये दिहाड़ी के मजदूर को बनाया था करोड़ों का मालिक

हूबलाल लालापुर का रहने वाला एक राजमिस्त्री है। उसने खुद चार नवंबर को पुलिस आयुक्त की कोर्ट में पहुंचकर जमीन से जुड़े दस्तावेज सौंप दिए थे। उसके नाम 14 अगस्त 2015 को कुल 23,447 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली इस जमीन का बैनामा कराया गया था। जिस वक्त इस जमीन का बैनाम कराया गया, उसकी मालियत करोड़ों में थी। जबकि, तब हूबलाल की दिहाड़ी महज 200 रुपये रोजाना थी। हूबलाल ने आरोप लगाया था कि जबरन बैनामा कराने के साथ ही अतीक ने यह भी कहा था कि जब जरूरत होगी, यह जमीन वह ले लेगा।

 

Courtsyamarujala.com

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