दर्शकों की लोकप्रिय सीरीज पंचायत 3 आखिरकार आज रिलीज हो चुकी है। अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई टीवीएफ की वेब सीरीज पंचायत के दो सीजन पहले ही दर्शकों के बीच धमाल मचा चुके हैं, जिसकी कहानी और कलाकारों ने दर्शकों को बांधे रखा। इसके बाद बेसब्री से दर्शकों को सीजन 3 का इंतजार था, ताकि वे पंचायत के फुलेरा गांव के लोगों के बीच फिर मस्ती कर सके। सचिव जी, प्रधान से लेकर बिनोद ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया, लेकिन भूषण का किरदार निभाने वाले अभिनेता दुर्गेश कुमार सीरीज की जान बन गए, जिन्हें फुलेरावासी बनराकस बोलते हैं। अब बनराकास तीसरे सीरीज में भी अपनी खलनायकी दिखाने वापस आ गए हैं। उनकी अदाकारी ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया है। ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें…
![Durgesh Kumar: इंजीनियर बनते बनते रंगमंच को बनाई अपनी दुनिया, थिएटर से निकल दुर्गेश ऐसे बने 'पंचायत' के बनराकस Durgesh Kumar profile know unknown facts about Panchayat Season 3 bhushan banrakas star struggle career films](http://staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/05/28/tharagasha-kamara_3e25d23e16ae5566c4b645bf82ef2ebf.jpeg?w=414&dpr=1.0)
पंचायत 2 में फुलेरा गांव के भूषण कुमार उर्फ बनराकस के रूप में मशहूर हुए का दुर्गेश कुमार बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। पहले सीजन में तो दुर्गेश का रोल काफी छोटा सा था, लेकिन तब भी वे दर्शकों के बीच अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे। दूसरे सीजन में वे ‘पंचायत’ की जान बन गए। इस सीजन में उन्हें गांव के हर काम में नुक्स निकालते और तंबाकू रगड़ते हुए ‘विनोद’ को बागी होने के लिए उकसाते देखा गया। हल्की मुस्कान के साथ ताना मारते हुए दुर्गेश के किरदार ने दूसरे सीजन में गांव के प्रधान और सचिव के खिलाफ जंग का एलान कर दिया था और यह बता दिया था कि वे अगले चुनाव में अपनी पत्नी को प्रधानी का चुनाव लड़वाएंगे और जीतकर उन सबका जीना मुश्किल कर देंगे।
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‘अमर उजाला’ के साथ एक साक्षात्कार में दुर्गेश कुमार ने बताया था कि उनके पिता डॉ. हरिकृष्ण चौधरी दरभंगा, बिहार के सीएम आर्ट्स कॉलेज में कॉमर्स के प्रोफेसर रहे हैं। वे चाह रहे थे कि दुर्गेश पढ़ाई करके इंजीनियर बनूं। उन्होंने दरभंगा के सीएम साइंस कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। उस बीच उनके बड़े भाई डॉ. शिवशक्ति चौधरी यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली आ गए। दुर्गेश भी उनके साथ 2001 में दिल्ली आए। दुर्गेश ने व्यक्तित्व विकास के लिए अजय कटारिया के उद्देश्य थिएटर ग्रुप में दाखिला लिया। वहां उन्होंने 50 दिन तक अभिनय, भाव प्रकटन, आत्मविश्वास और तमाम दूसरी बारीकियां सीखीं। वहीं उन्होंने जीवन का पहला नाटक ‘ताजमहल का टेंडर’ किया, जिसे अजय शुक्ला ने लिखा था। नाटक में दुर्गेश ने चपरासी का किरदार निभाया था।
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दुर्गेश साथ ही साथ इंजीनियरिंग की तैयारी भी कर रहे थे। उन्होंने तीन बार परीक्षा दी, लेकिन हर बार फेल हो गए। इसके बाद अभिनेता ने हिंदी साहित्य से स्नातक की पढ़ाई शुरू कर दी। ‘ताजमहल का टेंडर’ के बाद वे स्वतंत्र रूप से थिएटर करने लगे। फिर उन्होंने रोहित त्रिपाठी के साथ नाटक ‘महारथी कर्ण’ किया। उन्होंने श्रीराम सेंटर ऑफ परफार्मिंग आर्ट्स एंड कल्चर से दो साल का डिप्लोमा भी किया। हिंदी साहित्य से स्नातक करने के बाद उन्होंने एनएसडी का फॉर्म भरा, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। फिर उन्होंने थिएटर करना जारी रखा। 2008 में उनका चुनाव एनएसडी में हो गया।
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एनएसडी में दुर्गेश ने खूब थिएटर किया और वहीं उनकी नौकरी लग गई। दुर्गेश ने आमिर खान की फिल्म ‘पीके’ में एक छोटे से रोल के लिए ऑडिशन दिया, लेकिन कम उम्र होने के कारण उनका चुनाव नहीं हुआ। वह ऑडिशन देख फिर इम्तियाज अली ने उन्हें ‘हाइवे’ के लिए चुन लिया और उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। इसके बाद वे कई फिल्मों और वेब सीरज में भी नजर आए। टीवीएफ की ‘पंचायत’ में पहले उन्हें फोटोग्राफर का रोल करना था, लेकिन वह किसी और के हाथ लग गया, तब उन्होंने ‘भूषण’ का छोटा सा रोल निभाया, लेकिन दूसरे सीजन में उन्हें विस्तारित रोल मिला, जो सीरीज की अहम कड़ी बन गया और अब तीसरा सीजन पूरा ही भूषण वर्सेज सचिव जी, प्रधान जी का ही है।
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