Wednesday, October 9, 2024
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एसआरएन अस्पताल : प्रयागराज में पहली बार हुई खाने की फटी नली की सफल सर्जरी, ईएचपीवीओ से पीड़ित थी बच्ची

एसआरएन में दो मार्च 2024 को सोनभद्र निवासी 17 वर्षीय बच्चे को इलाज के लिए लाया गया। इस दौरान पता चला कि मरीज 2017 से एक्स्ट्राहेपेटिक पोर्टल वेन ऑब्स्ट्रक्शन (ईएचपीवीओ) रोग से ग्रसित है। बच्चे के खाने की नली फट चुकी थी।

पिछले सात वर्षों से एक्स्ट्राहेपेटिक पोर्टल वेन ऑब्स्ट्रक्शन या पोर्टल हाइपरटेंशन (ईएचपीवीओ) से ग्रसित सोनभद्र निवासी एक 17 वर्षीय बच्चे की स्वरूपरानी नेहरु चिकित्सालय (एसआरएन) में सफल सर्जरी की गई। करीब छह घंटे चले ऑपरेशन के दौरान फट चुकी खाने की नली को चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक ठीक किया। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है। प्रयागराज में इस प्रकार की यह पहली सर्जरी है।

एसआरएन में दो मार्च 2024 को सोनभद्र निवासी 17 वर्षीय बच्चे को इलाज के लिए लाया गया। इस दौरान पता चला कि मरीज 2017 से एक्स्ट्राहेपेटिक पोर्टल वेन ऑब्स्ट्रक्शन (ईएचपीवीओ) रोग से ग्रसित है। बच्चे के खाने की नली फट चुकी थी। इस वजह से उसके मुंह से बराबर खून की उल्टी हो रही थी। मरीज का इससे पहले इलाज एसजीपीजीआई में हो रहा था। जहां खाने की नली को बैंडेजिंग करके खून की उल्टी रोक दी गई थी। वहां भीड़ ज्यादा होने के कारण सर्जरी के लिए नंबर नहीं मिल पा रहा था।

बच्चे की हालत खराब होती जा रही थी। एसआरएन में जांच की गई। इसके बाद गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. तरुण कालरा, सीटीवीएस के डॉ. विकास सचदेवा और डॉ. छविंदर सिंह ने 20 अप्रैल को सर्जरी की योजना बनाई। स्प्लेनोरेनल शंट (डीएसआरएस) नामक यह सर्जरी करीब छह घंटे चली। जिसके बाद मरीज बिलकुल ठीक हो गया। वहीं 27 अप्रैल को अस्पताल से मरीज को छुट्टी मिल गई।

ईएचपीवीओ के कारण

नवजात शिशु के नाभी पर तेल लगाना, गर्म घी, जड़ी बूटी व कहीं-कहीं गाय की जीभ लगवाई जाती है। जिसकी वजह से संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। जिसकी वजह से उम्र बढ़ने के साथ बच्चे में समस्या सामने आने लगती है। कुछ समय बाद खून की उल्टी शुरू हो जाती है।

पोर्टल वेन तक संक्रमण पहुंचने में समय लगता है। जिसकी वजह से 10 से 20 वर्ष की आयु में इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं। जिसमें बच्चे को खून की उल्टी होती है। पेट में पानी भी भर जाता है। इससे बच्चे की ग्रोथ रुक जाती है। – डॉ. विकास सचदेवा, विभागाध्यक्ष, सीटीवीएस, एसआरएन

इसमें लीवर को सप्लाई करने वाला सबसे महत्वपूर्ण सिरा जमकर सूख जाता है। यह सर्जरी काफी जटिल होती है। इस बीमारी में लीवर खराब हो जाता है और प्लेटलेट कम होने लगता है। – डॉ. तरुण कालरा, गैस्ट्रो सर्जन, एसआरएन,

इस बीमारी की शुरुआत नाभी में संक्रमण होने के कारण होती है, जो बाद में खाने की नली तक पहुंच जाती है। इस संक्रमण को फैलने में समय लगता है, जिसकी वजह से समय पर बीमारी का पता नहीं पाता है। – डॉ. छविंदर सिंह, सीनियर रेजीडेंट, एसआरएन

Courtsyamarujala.com
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