मामले में सीमा सिंह की ओर से थाना कवि नगर, जिला गाजियाबाद में पिता की हत्या सहित विभिन्न मामलों में केस दर्ज कराया गया था। निर्धारित समयावधि में आरोपपत्र प्रस्तुत नहीं किए जाने पर आरोपियों को जमानत मिल गई। अभियुक्त अमित तोमर एवं प्रवीण कुमार ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर मृतक के शव का डीएनए टेस्ट कराकर उसकी रिपोर्ट मंगाने की प्रार्थना की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन की ओर से जिन प्रपत्रों की प्रतियां आरोपी को प्रदान की गई हैं, न्यायालय की ओर से उन पर ही विचार किया जाना चाहिए। आरोप तय करते समय बचाव पक्ष को यह अवसर उपलब्ध नहीं है कि वह संबंधित न्यायालय से किसी नए साक्ष्य को मंगाने की मांग करे। अभियुक्त को अपनी प्रतिरक्षा का अधिकार दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत है। प्रस्तुत मामले में ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन के प्रपत्रों की पूर्णतः अनदेखी की है। यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की कोर्ट ने सुनाया।
मामले में सीमा सिंह की ओर से थाना कवि नगर, जिला गाजियाबाद में पिता की हत्या सहित विभिन्न मामलों में केस दर्ज कराया गया था। निर्धारित समयावधि में आरोपपत्र प्रस्तुत नहीं किए जाने पर आरोपियों को जमानत मिल गई। अभियुक्त अमित तोमर एवं प्रवीण कुमार ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर मृतक के शव का डीएनए टेस्ट कराकर उसकी रिपोर्ट मंगाने की प्रार्थना की थी। ट्रायल कोर्ट ने 30 मई 19 को आदेश पारित कर कहा कि प्रस्तुत मामले में डीएनए टेस्ट कराना न्यायोचित है।
वहीं,आवेदक के वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए अग्रिम विवेचना का आदेश पारित कर दिया है। कहा कि आरोप तय करते समय केवल अभिलेख पर उपलब्ध साक्ष्य पर ही परीक्षण किया चाहिए। अभियुक्त कोई साक्ष्य मंगाने के लिए अधिकृत नहीं है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्काें को सुनने के बाद कहा कि ट्रायल कोर्ट ने गवाह, बरामदगी, पंचायतनामा व पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर विचार किए बिना विवादित आदेश पारित किया है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 30 मई 19 के आदेश को रद्द कर दिया।
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