Saturday, July 27, 2024
spot_img
HomePrayagrajHigh Court : श्रम न्यायालय नियोक्ता पर धन की वसूली में नहीं...

High Court : श्रम न्यायालय नियोक्ता पर धन की वसूली में नहीं लगा सकता ब्याज, हाईकोर्ट ने रद्द किया आदेश

मामले में महेश चंद्र को 01मई 1966 को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत आयोग की ओर से विद्युत पारेषण मंडल, अलीगढ़ में सहायक स्टोर कीपर के पद पर नियुक्त किया गया था। 31 जनवरी 1997 को सेवानिवृत्ति हुए। इस दौरान श्रम न्यायालय में बकाया भुगतान के लिए धारा 33सी(2) के तहत एक आवेदन दायर किया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि श्रम न्यायालय नियोक्ता से धन की वसूली में ब्याज नहीं लगा सकता है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए श्रम न्यायालय के 18 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की कोर्ट ने फैसला सुनाया। कार्यकारी अभियंता विद्युत पारेषण प्रभाग की ओर से याचिका दायर की गई थी।

मामले में महेश चंद्र को 01मई 1966 को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत आयोग की ओर से विद्युत पारेषण मंडल, अलीगढ़ में सहायक स्टोर कीपर के पद पर नियुक्त किया गया था। 31 जनवरी 1997 को सेवानिवृत्ति हुए। इस दौरान श्रम न्यायालय में बकाया भुगतान के लिए धारा 33सी(2) के तहत एक आवेदन दायर किया। श्रम न्यायालय ने पेंशन, भविष्य निधि और अवकाश नकदीकरण के विलंबित भुगतान पर 18 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान का निर्देश दिया। इसके विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

हाईकोर्ट ने कहा कि विलंबित भुगतान के लिए 18 प्रतिशत की दर से ब्याज देने में श्रम न्यायालय को गुमराह किया गया था। ब्याज देना श्रम न्यायालय के अधिकार के बाहर है। कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए श्रम न्यायालय, आगरा के आदेश को रद्द कर दिया।

 

Courtsyamarujala.com

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments